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फिर सेवा का मौका मिला तो वह और तत्परता से काम करेंगे : नीतीश

नीतीश कुमार

नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज किसी का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ लोगों के लिए परिवार सिर्फ बेटा-बेटी तक ही सीमित है जबकि उनके लिए पूरा बिहार ही परिवार है और वह उसके कल्याण के लिए कार्य करते हैं, मौका मिला तो आगे भी करते रहेंगे।

श्री कुमार ने मंगलवार को अपने वर्तमान कार्यकाल में उद्घाटन, शिलान्यास और कार्यारंभ से संबंधित संभवतः आखिरी सरकारी कार्यक्रम में कहा, “हम लोग सेवक हैं और काम करते हैं। हम लोग परिवारवाद वाले नहीं हैं, हमारे लिए पूरा बिहार परिवार है और सभी परिवार के सदस्य हैं लेकिन कुछ लोगों का परिवार सीमित है। उनके लिए सिर्फ बेटा-बेटी ही परिवार है। इसके अलावा कोई नहीं है। पार्टी के अंदर भी जो लोग हैं उन्हें भी कोई इज्जत नहीं मिलती है।”

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मुख्यमंत्री ने कहा, “मेरे लिए पूरा बिहार एक परिवार है और हम सब एक परिवार के सदस्य हैं। बिहार के हर व्यक्ति का ध्यान रखते हैं। बिहार के किसी इलाके या किसी वर्ग की उपेक्षा नहीं की है।” उन्होंने कहा कि न्याय के साथ विकास का मतलब है हर इलाके का विकास और समाज के हर तबके का उत्थान। जो हाशिए पर थे उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए उनकी सरकार ने काम किया है। चाहे वह दलित, अति पिछड़ा वर्ग, महिलाएं और अल्पसंख्यक हो उन्हें मुख्यधारा में लाने तथा सब के कल्याण के लिए उनकी सरकार ने काम किया है।

श्री कुमार ने कहा कि आज संभवत: इस कार्यकाल का इस प्रकार का यह आखिरी कार्यक्रम हो, इसलिए वह सभी को हृदय से धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि जनता मालिक है और यदि उसने फिर से उन्हें सेवा करने का मौका दिया तो वह फिर मुस्तैदी के साथ उनके लिए काम करेंगे।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने विकास के जो काम किए हैं उससे भले ही कुछ लोग अनजान बन रहे हैं लेकिन वर्ष 2005 से पहले राज्य की क्या स्थिति थी और आज कैसी स्थिति है यह राज्य की जनता को अच्छे से पता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 से पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) पर एक माह में 39 मरीज आते थे लेकिन वर्ष 2006 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत से मुफ्त दवा वितरण योजना की शुरुआत कराई गई और अस्पतालों की व्यवस्था को बेहतर बनाया गया। उसके बाद से पीएचसी में हर महीने 10000 से अधिक मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं।

श्री कुमार ने कहा कि बिहार में वर्ष 2005 में टीकाकरण सिर्फ 18 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 86 प्रतिशत हो गया है। वहीं, 2005 में शिशु मृत्यु दर 61 थी जो अब घटकर 32, मातृ मृत्यु दर 312 से 149 और प्रजनन दर भी 4.3 से घटकर 3.2 हो गई है। उन्होंने कहा कि पल्स पोलियो उन्मूलन अभियान बिहार में इतने बेहतर तरीके से चलाया गया कि वर्ष 2010 में पोलियो का उन्मूलन हो गया, जिसकी काफी प्रशंसा हुई है। इसी तरह वर्ष 2005 में बिहार में 23383 कालाजार के मरीज थे, जो 2018-19 में घटकर 252 रह गये हैं। इसे शून्य पर लाने का लक्ष्य है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी बेहतर कार्य किए जा रहे हैं और ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है कि किसी को भी इलाज के लिए मजबूरी में बिहार के बाहर नहीं जाना पड़े।

समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा, पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह और जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने भी संबोधित किया।

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