माघ मेला में विश्व हिंदू परिषद के शिविर में गंगा समग्र की दो दिवसीय बैठक में भाग लेने के लिए आए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक डा. मोहन भागवत ने शुक्रवार की शाम गंगा का पूजन किया। यहां पूजन करने के बाद उन्होंने गंगा महत्ता पर प्रकाश डाला। पूजन बाद उन्होंने कहा कि गंगा भारतवर्ष की जीवन धारा है। गंगा की पवित्र अविरल धारा बहती रहेगी तो जीवन का प्रवाह भी चलता रहेगा। इस दौरान मोहन भागवत ने विश्व कल्याण की कामना के साथ गौरक्षा और गंगा की निर्मलता का भी संकल्प लिया।
हर-हर गंगे, भारत माता की जय और वंदे भारत के उदघोष के बीच स्वामी वासुदेवानंद और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि एवं संघ के अन्य पदाधिकारियों के साथ गंगा का पूजन करने के बाद संघ प्रमुख ने गंगा को सनानत संस्कृति का जीवन प्रवाह भी बताया। कहा कि गंगा धारा हमारे भारत वर्ष की जीवन धारा है। यह करोड़ों लोगों को जोड़ती है।
गंगा की धारा हम सब के भौतिक जीवन को भी समुन्नत बनाती रहे, इसी भावना और विश्वास के साथ पूजन कार्य संपन्न किया गया है। इस दौरान भागवत ने पुराणों में गंगा की महत्ता का भी वर्णन किया। इसके पूर्व भागवत ने गंगा का दुग्धाभिषेक भी किया। उन्होंने मां गंगा को चुनरी भी अर्पित की। पूजन कार्यक्रम में उनके साथ गंगा समग्र के सचिव डा. आशीष गौतम, संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल भी मौजूद रहे। गंगा पूजन के बाद भागवत बांध स्थित लेटे हुए हनुमान जी का भी दर्शन करने गए।
संघ प्रमुख मोहन भागवत गंगा समग्र की दो दिवसीय बैठक के दूसरे दिन गंगा की निर्मलता पर अपनी बात रखेंगे। बैठक सुबह नौ बजे शुरू होगी। इस दौरान गंगा समग्र द्वारा किए गए तमाम कार्यों के बारे में उन्हें जानकारी दी जाएगी। साथ ही भविष्य में किए जाने वाले कार्यक्रमों के बारे में भी भागवत को बताया जाएगा। दोपहर बाद मोहन भागवत प्रयागराज से रवाना हो जाएंगे।
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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार की शाम बड़े हनुमान की सविधि मंत्रोच्चार के साथ पूजा की। इसके बाद उन्होंने लेटे हनुमान की आरती उतारी। इस दौरान अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि से उन्होंने गंगा निर्मलीकरण पर चर्चा की। महंत ने आरएसएस प्रमुख को बड़े हनुमान का चित्र और माला भेंट की।
संघ प्रमुख मोहन भागवत शाम 7:35 बजे बड़े हनुमान मंदिर पहुंचे। वहां अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष की मौजूदगी में उन्होंने बड़े हनुमान जी की आरती, पूजा की। इसके बाद करीब आधे घंटे तक महंत के कक्ष में उन्होंने गंगा निर्मलीकरण से जुड़े पहलुओं पर चर्चा की। महंत नरेंद्र गिरि का कहना था कि गंगा की समस्या की मूल वजह उत्तराखंड में अनेक बांध परियोजनाओं के जरिए प्रवाह को बाधित किया जाना है। टिहरी बांध की वजह से गंगा का प्रवाह और भी कमजोर हो गया है। पश्चिमी नहर से हो रहे जल दोहन को भी उन्होंने गंगा में बढ़ते प्रदूषण की वजहों में से एक बताया।
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महंत ने इस दौरान संघ प्रमुख से गंगा की अविरलता-निर्मलता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों को सराहा भी। बताया कि नमामि गंगे परियोजना के जरिए गंगा निर्मलीकरण अभियान को काफी गति मिली है। इसके अलावा सीएम योगी की ओर से बिजनौर से बलिया तक हर गांव में गंगा आरती के प्रस्ताव को भी उन्होंने निर्मलीकरण के लिए वरदान बताया। संघ प्रमुख का कहना था कि यह सभी कार्य इसलिए कराए जा रहे हैं, ताकि गंगा निर्मल रहे और लोगों को स्वच्छ जल धारा प्राप्त हो सके।