लाइफस्टाइल डेस्क। जब किसी के आंगन में किलकारियां गूंजती हैं तो पैरेंट्स की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। सभी पैरेंट चाहते हैं कि उसका बेबी हमेशा हेल्दी रहे। नन्हीं जान पर किसी तरह की आंच न आए, इसके लिए वह तरह-तरह की चीजें प्रीकॉशन के रूप में अपनाते हैं। जहां से भी उन्हें जानकारी मिलती है, उसे वह बच्चों पर अपनाने लगते हैं। अक्सर पैरेंट्स बच्चों की नींद को लेकर परेशान रहते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चों की नींद पूरी नहीं हो तो उनकी सेहत को नुकसान हो सकता है, लेकिन एक नई रिसर्च के मुताबिक बच्चों की नींद के लिए पैरेंट्स को परेशान होने की जरूरत नहीं है।
आमतौर पर पैरेंट्स को लगता है कि छह महीने तक बेबी को रात में लगातार 8 घंटे तक सोना चाहिए, लेकिन एक रिसर्च में कहा गया है कि इन छह महीने के दौरान अगर बच्चे के सोने के पैटर्न में गड़बड़ी है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं। स्लीप मेडिसीन जर्नल में प्रकाशित इस नई रिसर्च में कहा गया है कि शुरुआती दो सप्ताह में भी बच्चे के सोने के पैटर्न में असंगतता आ सकती है। इसकी कई वजहें हो सकती हैं। रिसर्च में कहा गया है कि अगर बच्चे लगातार सोने में कोताही बरतते हैं तो इसके कोई प्रतिकूल परिणाम आएंगे, इस बात का कोई सबूत नहीं है।
रिसर्च में नवजात शिशु पर लगातार छह महीने तक अध्ययन किया गया। मैकगिल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मैरी हेलिनी ने बताया कि औसत मांओं ने बताया है कि उनके बच्चे ने पहले दो सप्ताह के अंदर पहले पांच दिन तक रात में लगातार 6 घंटे की नींद ली। इसके अलावा तीन दिनों तक रात में लगातार 8 घंटे की नींद ली। अध्ययन में शामिल आधे बच्चे ने कभी भी लगातार 8 घंटे की नींद रात में नहीं ली।
मैरी ने बताया कि अक्सर माता-पिता को बच्चे की नींद के बारे में गलत जानकारी मिलती है। लेकिन अगर उनका बच्चा रात में जन्म के शुरुआती दिनों में लगातार नींद लेने में कोताही बरतते हैं तो इससे उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि हर बच्चे की स्लीप पैटर्न अलग-अलग होता है। इसके कई कारण होते हैं। मां किस समय बच्चे को दूध पिलाती है, इसका बच्चे के सोने पर असर पड़ता है। इसके अलावा मां किस समय सोती हैं इसका भी असर पड़ता है। लेकिन इसका कोई प्रतिकुल असर नहीं पड़ता। इसलिए उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है।