लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब पंचायतें आत्मनिर्भर होंगी। तो प्रदेश और देश अपने आप आत्मनिर्भर बन जाएगा। ग्राम पंचायतों के आत्मनिर्भर बनने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में कोई भी नौजवान और महिला अपने को बेरोजगार नहीं मान सकते।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायत राज संस्थाओं के जनप्रतिनिधि प्रदेश के ग्रामीण विकास एवं आर्थिक स्वावलंबन का एक नया आदर्श प्रस्तुत कर महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना को भी साकार कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने रविवार को पांच कालिदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत 56 जिलों में 204 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 2095 किलोमीटर लंबे 748 मार्गों का शिलान्यास किया।
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उन्होंने पंचायती राज विभाग के माध्यम से 647 करोड़ की लागत से बनने वाली दो हजार किलोमीटर लंबी 1825 सड़कों का लोकार्पण भी किया।। मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएमजीएसवाई को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने 2001 में शुरू किया था। इससे साफ है कि आजादी के पांच दशक तक भारत की ग्रामीण व्यवस्था सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा गया। जबकि सड़क गांव के विकास की प्रक्रिया के सबसे बड़े और सशक्त माध्यम हैं।
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मुख्यमंत्री ने ग्राम प्रधानों से कहा कि वे केवल सरकार के पैसे पर ही निर्भर न रहें, बल्कि अपनी पंचायत की आय बढ़ाने की चिंता करें। कहा कि यदि पंचायतें स्वावलंबी बनेंगी तभी गांव का हर व्यक्ति स्वावलंबी बन सकता है।
पैसे का सदुपयोग हो तो रोजगार और विकास बढ़ेगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत को जिस उद्देश्य के साथ पैसा दिया जाता है यदि संस्थाएं उसका सदुपयोग करे तो विकास और रोजगार की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों को नसीहत देते हुए कहा कि कुछ कार्य ऐसा करिए, जिसे आप कह सकें कि यह मेरे कार्यकाल का है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण यह नहीं है कि कितने गांव में आपने कुछ न कुछ दे दिया। उन्होंने कहा कि गांव के अंदर बेहतर कनेक्टिविटी देनी चाहिए।