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बड़े इमामबाड़े में मजलिस नहीं, तो सैलानी भी नहीं : मौलाना कल्बे

Maulana Kalbe

Maulana Kalbe

मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने मुहर्रम के महीने में बड़े इमामबाड़े में आयोजित मजलिसों के खिलाफ प्रशासन द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर नाराजगी जताई।

वहीं अदालत में दायर चार्जशीट की निंदा करते हुए कहा कि इमामबाडे़ में मजलिसें करना कब से जुर्म हो गया है। मौलाना ने कहा कि मुहर्रम में जब हमने बड़े इमामबाड़ा में मजलिसों का एलान किया उसी समय प्रशासन ने कहा था कि हम अभी जांच कर रहे हैं कि बड़ा इमामबाड़ा धार्मिक स्थल है या नहीं।

यह बयान अखबार में प्रकाशित हुआ था, लेकिन कुछ मौलवी प्रशासन के समर्थन में बोल रहे थे कि प्रशासन ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, यह सब झूठ है। लेकिन अब यह साबित हो गया है कि प्रशासन बड़े इमामबाड़े को धार्मिक स्थल तसलीम नहीं करता।

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मौलाना ने बताया कि प्रशासन की तरफ से अदालत में दाखिल की गई चार्जशीट में मेरा नाम है। साथ ही मौलाना रजा हुसैन साहब, मौलाना हबीब हैदर साहब, मौलाना फिरोज हुसैन साहब और अन्य लोगों के नाम हैं। वह इमामबाडे़ को पर्यटन स्थल बनाना चाहते हैं। हम प्रशासन को एक बार फिर बताना चाहते हैं कि बड़ा इमामबाड़ा एक धार्मिक स्थल है, यहां हमेशा की तरह मजलिसें होती रहेंगी।

यदि मजलिसों पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो हम आंदोलन शुरू करेंगे और पर्यटकों को भी इमामबाडे़ में आने नहीं दिया जाएगा। मौलाना ने कहा कि इमामबाडे़ में बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं जिन में बहुत लोगों के पास टिकट नहीं होता है, प्रशासन इस भ्रष्टाचार पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज करता।

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मौलाना ने कहा कि जबसे पर्यटकों को इमामबाड़ा में आने की अनुमति दी गई है, तबसे अब तक बड़े और छोटे इमामबाड़े में 90 प्रतिशत पर्यटक कोविड नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिनकी तस्वीरें उपलब्ध हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। और इस संबंध में कोई एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई।

मौलाना ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान ना जाने कितनीं राजनीतिक और गैर-राजनीतिक रैलियां हुई हैं, जिसमें केरोना नियमों का उल्लंघन किया गया है, प्रशासन ने उन रैलियों पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की? केवल बड़े इमामबाड़ा में मजलिसें आयोजित करने के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन की मंशा ठीक नहीं है।

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मौलाना ने कहा कि जिला प्रशासन ने मुहर्रम में होने वाली मजलिसों को लेकर हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और अदालत में चार्जशीट दायर कर दी गई है, लेकिन हम स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि हमने कोई अपराध नहीं किया, केवल मुहर्रम में इमामबाड़े में मजलिसें कीं है।

अगर प्रशासन को लगता है कि यह अपराध है, तो हमें गिरफ्तार करे। मौलाना ने बताया कि उलमा ने फैसला किया है कि हम इसके लिए जमानत लेने के लिए अदालत नहीं जाएंगे, बल्कि गिरफ्तारी देंगे।

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