शास्त्रों में शनि महाराज का काफी महिमामंडन किया गया है और शनि महाराज को न्याय का देवता माना गया है। मान्यता है कि शनि महाराज व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। कुंडली में शनि की दशा के हिसाब से भी व्यक्ति को फल मिलता है।
यदि कुंडली में शनि की स्थिति शुभ है तो जातक को जीवन में संघर्षों का सामना नहीं करना पड़ता है और उसका जीवन काफी सुखद और समृद्ध होता है। इसके विपरीत शनि की दशा के ठीक नहीं होने से जीवन बड़ा कष्टमय हो जाता है और कड़े संघर्ष के बाद व्यक्ति को सफलता नसीब होती है
शनि शांति के उपाय
शनि के कुंडली में अशुभ प्रभाव देने पर उसकी शांति के अनेक उपाय किए जाते हैं। इन उपायों से शनि के पीड़ा का नाश होता है। भगवान शंकर को प्रसन्न करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। यानी शिवलिंग पर काले तिल मिश्रित जल को चढ़ाने से शनि पीड़ा का नाश होता है। शिवलिंग काले रंग का और पीपल के पेड़ के नीचे ज्यादा शुभ फल देता है।
इसके साथ ही हनुमानजी की आराधना करने से शनि का शुभ फल प्राप्त होता है। इसके लिए शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए तिल या सरसो के तेल का दीपक जलाना चाहिए, चने-चिरौंजी का भोग लगाना चाहिए। रोजाना घर पर हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी शनि महाराज उत्तम फल देते हैं।
पीपल के पेड़ की सेवा से शनि होते हैं प्रसन्न
रोजाना पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने से भी शनि के कष्ट दूर होते हैं। शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाकर सात परिक्रमा करना चाहिए । यह उपाय सूर्योदय के पूर्व या सूर्यास्त के समय करना श्रेष्ठ रहता है।
दीपक के तेल में काले तिल डालना चाहिए। लेकिन पीपल को रविवार को नहीं छूना चाहिए।