अगर आपको आयकर रिटर्न भरने के बाद नोटिस आया है तो बिल्कुल नहीं घबराएं। आपके द्वारा आयकर रिटर्न दाखिल करने के बाद विभाग खुद के पास उपलब्ध सूचना से इसकी पुष्टि करता है, जिसे आकलन कहते हैं।
कोई गलती पाए जाने पर विभाग आपको नोटिस भेजकर ईमेल के जरिये अतिरिक्त जानकारी मांग सकता है। आपके जवाब से संतुष्ट होने पर विभाग इसकी औपचारिक सूचना भी देता है। आइए जानते हैं कि आयकर किस-किस धारा के अंतर्गत आपको नोटिस भेज सकता है और उनका जवाब आप कैसे दे सकते हैं।
गलत रिटर्न भरने पर नोटिस
रिटर्न में गड़बड़ी पर धारा 139(9) के तहत नोटिस आ सकता है इसका जवाब नहीं देते हैं तो रिटर्न खारिज माना जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि करदाताओं को इसका जवाब 15 दिनों के भीतर देना चाहिए, ऐसा न करने पर आईटीआर खारिज कर दिया जाता है।
गलत डाटा देने पर नोटिस
आयकर विभाग धारा 143(3) के तहत आईटीआर में गलत डाटा या तथ्य देने पर नोटिस भेजता है। इसमें विभाग अपने आकलन और आईटीआर में आय व चुकाए कर का अलग-अलग टेबल भेज सकता है। विभाग आपसे बकाया कर चुकाने को कह सकता है।
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बकाया राशि को लेकर नोटिस
आयकर विभाग धारा 156 के तहत बकाया राशि, ब्याज, जुर्माना इत्यादि के खिलाफ नोटिस भेजता है। नोटिस, असेसमेंट ऑफिसर द्वारा जारी किया जाता है और बकाया राशि देने के लिए निर्देश दिया जाता है। किसी भी जुर्माना से बचने के लिए करदाता को समय पर बकाया राशि को जमा करने के लिए कहता है।
नोटिस का जवाब देना जरूरी
अगर आप आयकर विभाग की ओर से मिले नोटिस का जवाब नहीं देते हैं तो धारा 143(2) अगाह किया जाता है। इसके तहत नोटिस मिलने का मतलब है कि आप वापस विस्तृत जांच के दायरे में होंगे। यह नोटिस मिलने पर करदाता को तय तिथि के अंदर जवाब देना चाहिए।