कोरोना वायरस के मरीजों की घर पर देखभाल के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘प्रोनिंग’ की सलाह देते हुए कहा है कि यह उन मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी है, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है। खासकर वह मरीज जो घर पर पृथक-वास में रह रहे हैं। प्रोनिंग किसी मरीज को पीठ से घुमाकर सटीक एवं सुरक्षित तरीके से पेट के बल लाने की प्रक्रिया है, ताकि वह चेहरा नीचे की तरफ कर लेटने की मुद्रा में रहे।
या, ‘प्रोनिंग चिकित्सीय रूप से स्वीकार्य मुद्रा है जिससे सांस लेने में आराम और ऑक्सीजन के स्तर में सुधार होता है। यह सांस की तकलीफ वाले कोविड-19 मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है, खासकर घर में पृथक-वास के दौरान।’ बेट के बल लेटने का महत्व बताते हुए, मंत्रालय ने कहा कि इस आसन से हवा लेने-छोड़ने में सुधार होता है, फेफड़ों की वायु थैलियां खुलती हैं और सांस लेना आसान होता है।’
आगे कहा गया, ‘प्रोनिंग की जरूरत तभी पड़ती है जब मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो और एसपीओ2 (ऑक्सीजन सैचुरेशन) 94 से नीचे चला जाए। एसपीओ2 पर लगातार नजर रखने के साथ ही तापमान, रक्तचार और ब्लड शुगर की निगरानी भी घर में पृथक-वास के दौरान अहम होती है।
खून में ऑक्सीजन का संचार ठीक ढंग से नहीं होने से लक्षण बिगड़ सकते हैं। समय से पेट के बल लिटाना और वेंटिलेशन ठीक रखने से कई जानें बच सकती हैं।’ हालांकि, मंत्रालय ने खाने के एक घंटे बाद पेट के बल लेटने को लेकर आगाह किया है और कहा कि जितनी बार बर्दाश्त किया जा सके उतनी बार ही किया जाना चाहिए।