आप जो बोते हैं, वही काटते हैं। यह कहावत दिल की सेहत के मामले में भी सौ फीसदी सही है। दिल की धमनी (कोरोनरी आर्टरी) की बीमारी आम तौर पर 50-60 साल या उससे अधिक उम्र में प्रकट होती है। अधिकतर मामलों में इसका कारण दिल की सेहत के प्रति वर्षों की लापरवाही होती है।
अगर आप 20 साल के हैं और चाहते हैं कि 50 साल की उम्र में भी आपका दिल स्वस्थ रहे तो इसके लिए अभी से ही प्रयास करना शुरू कर देना चाहिए। दिल की धमनी की बीमारी कई कारणों से होती है, जो कई वर्षों और दशकों से मौजूद होते हैं। इन कारणों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, डिस्लिपिडेमिया, मोटापा, शारीरिक व्यायाम की कमी, वायु प्रदूषण, तनाव, बढ़ती उम्र और दिल की बीमारी का पारिवारिक इतिहास आदि शामिल हैं।
इनमें से अधिकतर कारण दूर किए जाने लायक हैं। लेकिन जब किसी व्यक्ति में ये तमाम कारण वर्षों तक मौजूद रहते हैं तो उसकी दिल की धमनी में कोलेस्ट्रॉल की गाद (प्लेक) जमने लगती है। यह प्रक्रिया एक समय उस गंभीर स्तर पर पहुंच जाती है, जब थकान के दौरान सीने में दर्द शुरू हो जाता है। बाद में आराम की हालत में भी यह दर्द होने लगता है।
कुछ मामलों में कोलेस्ट्रॉल की यह गाद भड़क कर टूट सकती है। इस तरह छिटके गाद के टुकड़े दिल की धमनी को अचानक अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है। इसी कारण तमाम युवाओं को 20 की उम्र से ही अपनी जीवनशैली की कुछ आदतों पर नजर रखने की आवश्यकता है। उन्हें शुरुआत से ही धूम्रपान करने से बचना चाहिए।
धूम्रपान दिल की बीमारी का एक प्रमुख कारक है। धूम्रपान का दिल की धमनी की बीमारी से सीधा रिश्ता है। धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान नहीं करने वालों के मुकाबले दिल की धमनी की बीमारी होने का खतरा दो से चार गुना ज्यादा होता है, जबकि धूम्रपान बंद कर देने से दिल की धमनी की बीमारी का खतरा कम हो जाता है। धूम्रपान छोड़ने के एक साल बाद दिल की बीमारी का खतरा 50 फीसदी कम हो जाता है।
धूम्रपान छोड़ने के पांच साल बाद व्यक्ति को दिल की बीमारी होने की आशंका उतनी ही रहती है, जितनी किसी सामान्य व्यक्ति को। इसलिए अपनी इस धूम्रपान की आदत को तत्काल छोड़ें और व्यायाम की शुरुआत करें।
नियमित शारीरिक व्यायाम और स्वास्थ्यकर आहार दिल को बीमार करने वाले कई कारकों जैसे डिस्लिपिडेमिया, मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह को दूर रखने में मददगार होते हैं।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने सुझाया है कि दिल को स्वस्थ रखने के लिए प्रति सप्ताह 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाले या 75 मिनट जोरदार तीव्रता वाले या दोनों के संयोजित रूप वाले एरोबिक व्यायाम करने चाहिए। व्यायाम का कार्यक्रम पूरे सप्ताह में समान रूप से बंटा होना चाहिए। सप्ताह में कम से कम दो दिन व्यायाम जरूर करना चाहिए। व्यायाम का सिलसिला मध्यम से तीव्रता वाला होना चाहिए।
स्वास्थ्यकर भोजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज का सही अनुपात शामिल होता है। स्वास्थ्यकर आहार की योजना फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, वसा रहित या कम वसा वाले दूध और डेयरी उत्पादों पर जोर देती है। इसमें लीन मीट, चिकन, मछली, फलियां, अंडे और मेवे शामिल हैं। स्वास्थ्यकर आहार में संतृप्त वसा, ट्रांस वसा, कोलेस्ट्रॉल, नमक आदि कम होते हैं, अतिरिक्त शर्करा भी कम होती है।
नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम करने और स्वास्थ्यकर आहार लेने के बावजूद यदि कोई व्यक्ति आनुवंशिक कारणों से उच्च रक्तचाप, मधुमेह या डिस्लिपिडेमिया की चपेट में आता है तो उसको समुचित उपचार के जरिये इन बीमारियों को दूर करना चाहिए।