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आपका भी चंद्रमा कमजोर है तो सोमवार को इस विधि से करे पूजा, दूर हो जाएंगी सभी समस्याएं

Chandra Dev

Chandra Dev

चंद्रदेव को खुश करने के लिए भगवान शंकर की पूजा करना आवश्यक है। यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्र कमजोर हो तो उसे कई सारे कष्ट उठाने पड़ते हैं। सबसे बड़ी समस्या मानसिक विकार की होती है।

यदि किसी व्यक्ति का चंद्रमा कमजोर हो तो वह बहुत ही भावुक प्रकृति का हो जाता है। उस व्यक्ति की धैर्यता खत्म हो जाती है और साथ ही कोई भी काम करते वक्त उसका मन तुरंत ही विचलित होने लगता है। इतना ही नहीं बल्कि उस व्यक्ति की मां से दूरी होने लगती है, नेत्र रोग, जीवन साथी से तनाव, संतान न होना, मन में भय, आदि कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए सोमवार को व्रत करना जरुरी होता है। न सिर्फ सोमवार बल्कि पूर्णिमा का व्रत करना भी फलदायी होता है।

व्रत वाले दिन खीर बनाकर चंद्रमा को भोग लगाएं।

भगवान शंकर को दूध से स्नान भी कराएं।

सोमवार के दिन आप कोई भी सफेद रंग की वस्तु जरूर दान करें।

आप खुद भी सफेद वस्त्र ही धारण करें।

जिन भी लोगों का चंद्र कमजोर होता है उन्हें चांदी का प्रयोग जरूर करना चाहिए।

कमजोर चंद्र वाले लोग चांदी की अंगूठी में सफेद मोती पहनें। इसे सोमवार के दिन कनिष्ठ यानी की कानी उंगली में पहनें।

सबसे सटीक उपाय- आप चंद्रमा को जरूर लगातार ध्यान से देखें।

इन सभी अचूक उपायों को तो अपनाएं ही और इसके अलावा आप रात में चंद्र देव की आरती जरूर करें।

ये हैं चंद्र देव की आरती-

ॐ जय श्रीचन्द्र यती,

स्वामी जय श्रीचन्द्र यती |

अजर अमर अविनाशी योगी योगपती |

सन्तन पथ प्रदर्शक भगतन सुखदाता,

अगम निगम प्रचारक कलिमहि भवत्राता |

कर्ण कुण्डल कर तुम्बा गलसेली साजे,

कंबलिया के साहिब चहुँ दीश के राजे |

अचल अडोल समाधि प्झासा सोहे

बालयती बनवासी देखत जग मोहे |

कटि कौपीन तन भस्मी जटा मुकुट धारी,

धर्म हत जग प्रगटे शंकर त्रिपुरारी |

बाल छबी अति सुन्दर निशदिन मुस्काते,

भ विशाल सुलोचन निजानन्दराते |

उदासीन आचार्य करूणा कर देवा,

प्रेम भगती वर दीजे और सन्तन सेवा |

मायातीत गुसाई तपसी निष्कामी,

पुरुशोत्तम परमात्म तुम हमारे स्वामी |

ऋषि मुनि ब्रह्मा ज्ञानी गुण गावत तेरे,

तुम शरणगत रक्षक तुम ठाकुर मेरे |

जो जन तुमको ध्यावे पावे परमगती,

श्रद्धानन्द को दीजे भगती बिमल मती |

अजर अमर अविनाशी योगी योगपती |

स्वामी जय श्रीचन्द्र यती

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