नई दिल्ली। पाकिस्तान (Pakistan) को एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्ज मिल गया है। इसकी जानकारी पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने बुधवार को एक्स पर दी है। केंद्रीय बैंक ने एक पोस्ट में कहा कि उसे एक्सटेंडेड फंड फैसिलिडी कार्यक्रम के तहत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 760 मिलियन डॉलर (1,023 मिलियन डॉलर) की दूसरी किश्त मिली है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (State Bank of Pakistan) ने कहा कि यह राशि 16 मई को समाप्त सप्ताह के लिए उसके विदेशी मुद्रा भंडार में दिखाई देगी।
पिछले सप्ताह मिला था कर्ज
बता दें पिछले सप्ताह ही आईएमएफ (IMF) ने पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर का कर्ज दिया था। IMF ने बीते शुक्रवार को कहा था कि उसके कार्यकारी बोर्ड ने पाकिस्तान के साथ अपने 7 बिलियन डॉलर के कार्यक्रम की पहली समीक्षा को मंजूरी दे दी है, जिससे देश को लगभग 1 बिलियन डॉलर की नकदी मिल सकेगी। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (PM Shahbaz Sharif) ने आईएमएफ (IMF) द्वारा पाकिस्तान के लिए एक अरब डॉलर की किस्त को मंजूरी दिए जाने और उसके खिलाफ भारत की मनमानी रणनीति की विफलता पर संतोष व्यक्त किया। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और देश विकास की ओर बढ़ रहा है।
भारत ने उठाए थे सवाल
बता दें कि भारत ने पाकिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 1.3 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर मतदान से खुद को दूर रखते हुए बीते शुक्रवार को आईएमएफ (IMF) कार्यक्रमों की प्रभावशीलता पर चिंता जताई थी। साथ ही पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के लिए ऋण वित्तपोषण निधि के दुरुपयोग की संभावना पर भी चिंता जताई। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी बयान में भारत द्वारा उठाये गये मुद्दों के बारे में बताया। भारत ने पिछली वित्तीय सहायता का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में पाकिस्तान के ‘खराब ट्रैक रिकॉर्ड’ का भी हवाला दिया।
तनाव के बीच IMF ने दी पाकिस्तान को मदद, तो फूट पड़ा दुनियाभर का गुस्सा
भारत ने कहा कि पाकिस्तान आईएमएफ (IMF) से लंबे समय से कर्जदार रहा है, जिसका कार्यान्वयन और आईएमएफ (IMF) की कार्यक्रम शर्तों का पालन करने का बहुत खराब ट्रैक रिकॉर्ड है। 1989 से 35 वर्षों में, पाकिस्तान को आईएमएफ (IMF) से 28 वर्षों में ही ऋण मिला है। 2019 से पिछले 5 वर्षों में, 4 आईएमएफ (IMF) कार्यक्रम हुए हैं। यदि पिछले कार्यक्रम एक ठोस वृहद आर्थिक नीति वातावरण बनाने में सफल रहे होते, तो पाकिस्तान एक और बेलआउट कार्यक्रम के लिए फंड से संपर्क नहीं करता। भारत ने बताया कि इस तरह का ट्रैक रिकॉर्ड पाकिस्तान के मामले में आईएमएफ (IMF) कार्यक्रम डिजाइनों की प्रभावशीलता या उनकी निगरानी या पाकिस्तान द्वारा उनके कार्यान्वयन पर सवाल उठाता है।