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नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से बदल जाएगा उच्च शिक्षा का ढांचा :  डॉ. दिनेश शर्मा 

Desk by Desk
18/03/2021
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, राजनीति, शिक्षा, सिद्धार्थनगर
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दीक्षांत समारोह

दीक्षांत समारोह

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लखनऊ। यूपी के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश की उच्च शिक्षा को नया स्वरूप प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में नई शिक्षा नीति के प्राविधानों के क्रियान्वयन  से उच्च शिक्षा का ढांचा ही बदल जाएगा।  एक ऐसी व्यवस्था बनेगी जो कुशल व दक्ष युवाओं को तैयार करेगी जो दुनिया को राह दिखाने वाले आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

नई शिक्षा नीति  से प्रदेश में अन्तरराष्ट्रीयस्तर स्तर  की शिक्षा की सुविधाएं विकसित हो सकेंगी। विदेशी विश्वविद्यालयों के कैम्पस  खुल सकेंगे। सरकार आने वाले समय में कुछ शिक्षण संस्थानों में गवर्नेन्स रिफार्म  भी लागू करने जा रही है। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ,बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चन्द्र  द्विवेदी कुलपति सुरेन्द्र दुबे, कार्यपरिषद के सदस्य व विधान परिषद सदस्य ध्रुव कुमार  त्रिपाठी , कपिलवस्तु के विधायक  श्याम धनी , सोहरतगढ के विधायक चौधरी अमर सिंह   की उपस्थिति में  सिद्धार्थनगर विश्विद्यालय कपलिवस्तु के चौथे दीक्षान्त समारोह का आयोजन हुआ।

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उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल के मार्गदर्शन में यूपी ने तमाम ऊंचाइयों को छुआ है। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहाकि उत्तर प्रदेश उच्च  शिक्षा व नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अव्वल है। पिछले चार साल में सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन किए हैं। अब प्रदेश में नई शिक्षा नीति के जरिए उच्च शिक्षा  को नया स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। बदलावों को लागू करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है जिसमें शिक्षा क्षेत्र के तमाम विद्वानों  को शामिल किया गया है।

इसके लिए लक्ष्यों को तीन श्रेणी में बांटकर सरकार तेजी से आगे बढ रही है। हर माह में कार्य की समीक्षा कर बदलावों की दिशा में प्रगति  पर नजर रखी जा रही है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम का पुनर्गठन कराया जा रहा है। सभी विश्वविद्यालयों में करीब 70 प्रतिशत कोर्स समान होगा तथा शेष 30 प्रतिशत स्थानीय आधार पर होगा। इसके निर्धारण के लिए बनाई गई समिति ने रिपोर्ट दे दी है और अब इस दिशा में शीघ्र ही निर्णय लिया जाएगा।

हर छात्र का अपना क्रेडिट बैंक होगा।  इससे छात्रों को एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने में आसानी होगी। छात्रों  के लिए रोजगारपरक स्किल डेवलेपमेन्ट के कोर्स आरंभ किए गए हैं।  अभी हाल ही में सूक्ष्म व लघु उद्यम मंत्रालय के साथ उच्च शिक्षा विभाग ने करार किया है।  शिक्षा को रोजगारपरक बनाने के लिए औद्योगिक प्रतिष्ठानों के साथ तालमेल पर भी जोर दिया जा रहा है।

परीक्षा  प्रणाली में  भी सुधार की दिशा में आगे बढ रहे हैं। परीक्षाओं में वस्तुनिष्ठ प्रश्रों के साथ ही बहुविकल्पीय प्रश्र पूछने के भी प्राविधान किए जा रहे हैं। प्रदेश में एमफिल को समाप्त कर दिया गया है। आफलाइन शिक्षा के साथ ही आनलाइन शिक्षा की भी व्यवस्था की गई है। कोविड दौरान भी आनलाइन शिक्षा की व्यवस्था को जारी रखा गया था। लेक्चर व पठन पाठन सामग्री को आनलाइन उपलब्ध कराया गया था।

इससे उच्च शिक्षा का सत्र भी नियमित रह सका है तथा समय से परीक्षाएं हुईं हैं। हर विश्वविद्यालय में इनोवेशन हब व इनक्यूबेशन सेन्टर  को बनाने की दिशा में  काम हो रहा  है। दूरस्थ क्षेत्र में ई-लर्निंग पार्क व ई-सुविधा केन्द्रों की स्थापना कराई जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने देश की सबसे बडी डिजिटल लाइब्रेरी का निर्माण कराया है। इसमें 79 हजार कन्टेंट अपलोड किए जा चुके हैं। इसके लिए आईआईटी खडगपुर तथा  भारतीय डिजिटल लाइब्रेरी के साथ अनुबंध  किया गया है। कोरोना के संक्रमण काल में शिक्षा की गति को बरकारार रखने के लिए 79 हजार लेक्चर्स आदि को अपलोड किया गया ।

इस लाइब्रेरी  का   नि:शुल्क उपयोग किया जा सकता है। इस बात के भी प्रयास किए जा रहे हैं कि कुछ ऐसी व्यवस्था हो कि दिव्यांगजन भी इस ज्ञान के सागर का लाभ ले सकें। राज्यपाल के निर्देशन में पिछले तीन माह में अभूतपूर्व काम हुआ है।  प्रदेश में शिक्षा महादान माह मनाया गया।  प्रयास है कि वर्चुअल क्लासरूम के  साथ ही ई लर्निंग की व्यवस्था  ठीक प्रकार से लागू हो।

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क्षेत्रीय भाषा के साथ विदेशी भाषा के अध्यापन का कार्य सभी विश्वविद्यालयों में शुरू हो सके । एक ऐसा पायलेट प्रोजेक्ट आरंभ किया जिसके तहत कुछ महाविद्यालयों के पुस्तकालय के लिए प्रीलोडेड टैब उपलब्ध कराने  हेतु वित्तीय सहायता मिले। यह योजना आंकाक्षी महाविद्यालयों में आरंभ की गई है। रोजगारपरक व गुणवत्तापरक शिक्षा सरकार के एजेन्डे में सबसे ऊपर है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कोर्स में बदलाव इस प्रकार से किए जा रहे हैं कि वह रोजगारपरक हो। शोध व नवाचार नई शिक्षा नीति की आत्म की तरह है।

शोध को प्रोत्साहन के साथ ही उन्हे पोर्टल पर अपलोड भी किया जा रहा है जिससे न केवल अन्य लोग उससे लाभान्वित हो बल्कि ऐसे प्रयास अन्य स्थानों पर भी आरंभ हों। आने वाले समय में यह भी व्यवस्था की जा रही है कि शिक्षक कक्षा लेने के पूर्व ही अपने लेक्चर्स को पोर्टल पर अपलोड करें जिससे छात्र कक्षा में आने के पूर्व ही उन्हे पढ सकें। इससे कक्षा में शिक्षण के दौरान अच्छा विमर्श हो सकेगा। यह योजना  पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ स्थानों पर आरंभ कर दी गई है।

प्रवेश से लेकर अंकतालिका उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को आनलाइन किया गया है। सम्बद्धता की प्रक्रिया को भी आनलाइन किया गया है। विद्यार्थी को परीक्षा की उत्तर पुस्तिका को देखने की सुविधा देने की व्यवस्था की जा रही है। डा शर्मा ने कहा कि सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय  कपिलवस्तु में सबसे पहले इन्टरनेशनल बुद्धिस्ट सेन्टर व सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स इन हिन्दुइज्म जैनिज्म  बुद्धिज्म  की स्थापना की गई । आज पूरे भारत में यह विभाग चर्चा का विषय बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के समय इस विश्वविद्यालय के नाम पर केवल शिलान्यास का पत्थर मात्र ही था। योगी सरकार ने इस विश्वविद्यालय को न केवल बनाया बल्कि यहां पठन पाठन भी आरंभ कराया । इसके साथ ही आस पास के 6 जिलों को इस विश्वविद्यालय से जोडा गया । आज यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करने  की ओर अग्रसर है। शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन की प्रक्रिया अन्तिम चरण में है। इसके बाद शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शी तरह से योग्य शिक्षकों की भर्ती हो सकेगी। सरकार ने 79 राजकीय महाविद्यालयों की स्थापना की है । उनका संचालन सम्बन्धित  विश्वविद्यालय के द्वारा स्ववित्त पोषण के आधार पर किया जाएगा।

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