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सूर्यास्त के बाद करें ये एक काम, मां लक्ष्मी की हमेशा रहेगी कृपा

Dhanteras

deepak

हिंदू धर्म में दीपक (Deepak) का बहुत महत्व है। प्रात:काल भगवान की पूजा में और संध्याकाल भगवान की पूजा में दीपक जला कर पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है भगवान के समक्ष दीपक जला कर पूजा स्थल को प्रकाशित किया जाता है। ज्‍योतिष और वास्‍तु शास्‍त्र में भी बताए गए हैं।

मान्यता है  कि दीपक (V) जलाने से अंधकार दूर होता है, नकारात्मकता खत्म होती है और माहौल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।अलग अलग अवसरों पर अलग अलग प्रकार के दीपक जलाने की मान्यता और उसका फल है। दीपक मिट्टी, आटे या पीतल-तांबा आदि विभिन्न धातुओं के भी होते हैं।

शनिदेव की पूजा में सरसों के तेल का दीपक (Deepak) जलाना सर्वश्रेष्ठ होता है। इसी तरह हनुमान जी चमेली के तेल का दीपक जलाने से प्रसन्न होते हैं। मां लक्ष्‍मी को प्रसन्न करने के लिए गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके अलावा वास्तु शास्त्र और ज्योतिष में दीपक के कुछ उपाय भी बताए गए हैं।

पौराणिक ग्रंथों में सायंकाल के समय दीपक (Deepak) जलाने का विशेष महत्व है। सायंकाल के समय घर में मां लक्ष्‍मी के आगमन का समय होता है। इसलिए गोधूलि बेला में घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना चाहिए। मान्यता ळै कि ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है।

वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती हैं और खूब धन-संपत्ति देते हैं। ध्‍यान रहे कि घर के मुख्य द्वार पर दीपक को इस तरह से जलाएं कि जब आप बाहर निकलें तो दीपक आपकी दाहिनी ओर रहे। वहीं दीपक की ज्योति की दिशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए। पश्चिम दिशा की ओर करके कभी भी दीपक न जलाएं।

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