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कोरोना में बढ़ी योग की महत्ता, लम्बी आयु के लिए जरुरी है योग का निरंतर अभ्यास

भारतीय मनीषियों की विधा योग को पूरे विश्व ने मान्यता दे दी है। इसके लाभ से पूरा विश्व लाभान्वित हो रहा है और हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 21 जून को सातवें अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस को पूरा विश्व मना रहा है। खासकर भारतीयों में योग को लेकर अधिक उत्सुकता है। हो भी क्यों न, क्योंकि योग भारतीय मनीषियों की विधा है। इसको लेकर सुबह से ही कानपुर सहित पूरे देश के लोग योग दिवस को धूमधाम से मना रहे हैं। यह अलग बात है कि इस बार कोरोना काल के चलते सामूहिक योग नहीं किया जा रहा है, लेकिन घरों में या पार्कों में कोरोना गाइड लाइन का पालन कर ‘वी विद योग, वी एट होम’ थीम पर, यानी ‘योग के साथ रहें, घर पर रहें’ भारतीय योग दिवस को मना रहे हैं।

अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्येक मंडल पर योग दिवस के कार्यक्रम का आयोजन किया। कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाली सभी 17 जिला इकाइयों के सभी मंडलों पर भारतीय जनता पार्टी योग दिवस को मना रही है।

क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी मोहित पाण्डेय ने बताया कि पहले ही पार्टी ने तय कर लिया था कि भारतीय जनता पार्टी के सभी प्रदेश पदाधिकारी, क्षेत्र पदाधिकारी, जिलाध्यक्षों के साथ-साथ सभी जनप्रतिनिधि एवं प्रदेश सरकार के मंत्री गण किसी ना किसी मंडल में योग दिवस के कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे। यह भी सुनिश्चित किया गया था कि सभी कार्यक्रम कोविड प्रोटोकॉल के अंतर्गत ही संपन्न हो। इसी निर्देश के साथ क्षेत्रीय इकाई के सभी मण्डलों में योग दिवस को मनाया गया। इसी तरह शहर के सार्वजनिक स्थानों, विश्वविद्यालयों, कार्यालयों, बड़े संस्थानों सहित घर—घर लोगों ने योग कर योग दिवस को मनाया। इस दौरान यह भी शपथ ली गई कि कोरोना की लड़ाई में अहम योगदान साबित कर रहे योग को रोजाना व नियमित किया जाएगा।

कोरोना काल में बढ़ी योग की महत्ता

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा छात्र-छात्राओं द्वारा घर पर ही रहकर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को मनाया गया।

कुलपति ने बताया कि कोविड-19 के दृष्टिगत इस वर्ष योग दिवस का थीम वी विद योग, वी एट होम यानी योग के साथ रहे, घर पर रहे रखी गई  है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष सातवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। कुलपति ने बताया कि रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए योग के महत्व को समझना चाहिए। कोरोना काल में जिस प्रकार लोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जूझते रहे उससे साफ होता है अभी भी लोग को गहराई से नहीं ले रहे हैं। जिन लोगों कोरोना काल में योग की महत्ता को समझा वह पूरी तरह से निरोग हैं। उन्होंने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने और इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में योग की जरुरत को जिंदगी का अहम हिस्सा बताया। इसके साथ ही लोग अपने खानपान में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों को सेवन में शामिल करें। उन्होंने कहा कि योग सस्ता, सर्व सुलभ और सर्व हितकारी है।

इसलिए 21 जून को मनाया जाता है योग दिवस

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक ने बताया कि भारत सहित दुनिया भर में 21 जून को योग दिवस धूमधाम से मनाया जाता है और सभी इसमें बढ़ चढ़कर शिरकत करते हैं। 21 जून के दिन की एक खासियत है कि यह वर्ष के 365 दिन में सबसे लंबा दिन होता है और योग के निरंतर अभ्यास से व्यक्ति को लंबा जीवन मिलता है। इसलिए इस दिन को योग दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया गया। 21 जून, 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र में भारत की पहल पर दुनिया के लगभग सभी देश स्वस्थ रहने के लिए योग के प्रसार की इस मुहिम में शामिल हुए थे।

बताया कि 11 दिसम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस माने की घोषणा की थी। जिसके बाद से 2015 से 21 जून को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा। 21 जून को उत्तरी गोलार्ध पर सबसे ज्यादा सूर्य की रोशनी पड़ती है, जिससे सबसे लंबा दिन होता है।

सीएसए विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉक्टर आरपी सिंह ने बताया कि योग को प्राचीन कला का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने बताया कि भारतीय योग को जीवन में सकारात्मक और उर्जा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। इस दिन को मनाने का उद्देश्य योग के प्रति लोगों में जागरुकता पैदा करने के साथ लोगों को तनाव मुक्त करना भी है।

महर्षि पतंजलि को माना जाता है योग का जन्मदाता

भाजपा विधायक सुरेन्द्र मैथानी ने योग की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग, भारतीय ज्ञान की पांच हजार वर्ष पुरानी विरासत है, जिसके प्रणेता महर्षि पतंजलि को माना जाता है। योग साधना में जीवन शैली का पूर्ण सार समाहित किया गया है। बताया कि 21 जून उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे कुछ लोग ग्रीष्म संक्रांति भी कहकर बुलाते हैं। भारतीय परंपरा के अनुसार ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है। कहा जाता है कि सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी होता है। इसी वजह से 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रुप में मनाते हैं।

योग पर भारत ने बनाया रिकार्ड

बताते चलें कि, भाजपा सरकार की पहली पारी के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गणमान्य लोगों सहित करीब 36,000 लोगों ने, 21 जून 2015 को नई दिल्ली में पहले अंतरराष्ट्रीय योग के लिए 35 मिनट तक 21 योग आसन का प्रदर्शन किया था। योग दिवस दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा मनाया गया। राजपथ पर हुए समारोह ने दो गिनीज रिकॉर्ड्स की स्थापना की, सबसे बड़ी योग क्लास 35,985 लोगों के साथ और 44 देशों के लोगों द्वारा इस आयोजन में एक साथ भाग लेने का रिकॉर्ड भी भारत ने अपने नाम किया। लेकिन इस साल कोरोना महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय योग दिवस धूमधाम से नहीं मनाया गया और लोगों को पहले से ही संदेश दे दिया गया था कि घर पर ही रहकर योग करें।

योग गुरु आचार्य रामऔतार पाण्डेय ने बताया कि योग व्यायाम का ऐसा प्रभावशाली प्रकार है, जिसके माध्याम से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा में संतुलन बनाया जाता है। यही कारण है कि योग से शा‍रीरिक व्याधियों के अलावा मानसिक समस्याओं से भी निजात पाई जा सकती है। वर्तमान में योग को शारीरिक, मानसिक व आत्मिक स्वास्थ्य व शांति के लिए बड़े पैमाने पर अपनाया जाता है।

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