उत्तर प्रदेश में सहारनपुर से गिरफ्तार बांग्लादेशी दोनों भाईयों से पूछताछ में एटीएस को कई अहम् जानकारियां मिली हैं।
पुलिस सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि जांच में पता चला है कि इन दोनों भाईयों के बैंक खातों में विदेश से करीब एक करोड़ रूपया आया है। जिसमें 80 लाख रूपए इन्होंने विभिन्न खातों में ट्रांसफर किए हैं। इन्होंने एक साल के भीतर कम से कम 18 बार मोबाइल वाट्सअप के जरिए बातचीत की है। कमेला कालोनी में जहां उन्होंने सिंभालकी जुनारदार में पांच सौ रूपए प्रतिमाह के किराए पर रह रहे थे।
उन्होने बताया कि मोहल्ले में डेयरी संचालक और बिलाल मस्जिद के मुतवल्ली नदीम ने पुलिस को बताया कि उन लोगों को इनके बारे में कोई जानकारी नहीं है। ना ही उनका इकबाल और उसके भाई फारूक से कोई परिचय है। कमेला कालोनी नगर निगम के वार्ड 65 में आती है। कालोनी में राजकीय स्कूल के पास सड़क पर ही पार्षद शाहिद कुरैशी का मकान भी है। उन्होंने भी बांग्लादेशी भाईयों को लेकर अनभिज्ञता जताई है।
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गिरफ्तार इकबाल की पत्नी रूबी ने बताया कि पति और देवर बसपा सांसद फजलुर्रहमान कुरैशी की मीट की फैक्टरी में मजदूरी कर रहे थे। हालांकि सांसद ने कहा कि इन नामों के शख्स उनकी फैक्टरी में काम नहीं करते हैं। रूबी ने बताया कि उनका परिवार 15 सालों से सहारनपुर में ही किराए के मकान में रह रहे थे। उनके सात परिवार में तीन बच्चे 8 साल का मिजानू रहमान, चार साल की रूकसार और दो साल का बालक अरहान है।
सहारनपुर पुलिस ने रूबी से थाने ले जाकर लंबी पूछताछ की। उसी दौरान उसने सांसद की मीट फैक्टरी में अपने पति और देवर के मजदूरी करने की बात बताई। सहारनपुर करीब 40 फीसदी मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र है और यहां देवबंदी विचारधारा के बड़े शिक्षण केंद्र मजाहिर उलूम सहारनपुर और दारूल उलूम देवबंद स्थित है।
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देवबंदी विचारधारा के मानने वाले पाकिस्तान के मौलाना मसूद अजहर 1999 में अपनी रिहाई से पहले वर्ष 1993.94 में दारूल उलूम आए भी थे। 22 फरवरी 2019 को यूपी एटीएस और सहारनपुर पुलिस ने देवबंद दारूल उलूम के पास स्थित एक प्राइवेट होस्टल नाज में छापा मारकर जैश.ए.मोहम्मद के दो सदस्यों शाहनवाजए आकीब मलिक को गिरफ्तार किया था। ये दोनों कश्मीर के रहने वाले थे।
पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद इन दोनों युवकों ने देवबंद का रूख किया था। उनके ऊपर अपने संगठन जैश.ए.मोहम्मद के लिए फिदाईन हमले करने के लिए युवकों को तैयार करने की जिम्मेदारी थी। बांग्लादेशी घुसपैठिए और जम्मू कश्मीर से आने वाले संदिग्ध आतंकी सहारनपुर में व्यवस्था में सेंध लगाकर और सरकारी एजेंसियों की लापरवाही का फायदा उठाकर सहारनपुर और देवबंद में छिपे रहते हैं और खामोशी के साथ अपनी गतिविधियां चलाते रहते हैं।