लाइफ़स्टाइल डेस्क। जीवन की सफलता की कुंजी आचार्य चाणक्य की नीतियों और विचारों में निहित है। इन्हें जिस किसी ने भी अपने जीवन में उतार लिया तो वो किसी भी मुसीबत का डटकर सामना कर सकता है। आचार्य चाणक्य के कई विचारों में से आज हम एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार राज, गुप्तचर और मंत्री तीनों का एक मत होना चाहिए इसी पर आधारित है।
”राज, गुप्तचर और मंत्री तीनों का एक मत होना किसी भी मंत्रणा की सफलता है।” आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब राज, गुप्तचर और मंत्रियों के मत पर आधारित है। आचार्य चाणक्य इसमें ये कहना चाहता हैं कि राज, गुप्तचर और मंत्रियों तीनों का एक ही फैसले पर सहमत होना बहुत जरूरी है। ऐसा होने पर ही तरक्की संभव है। इसे आप चाहे तो राज्य या फिर बिजनेस से जोड़कर भी समझ सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर अगर आपको बिजनेस में दो पार्टनर हैं। इन दोनों ही साझेदारों की बिजनेस को लेकर एक ही रणनीति होने पर ही बिजनेस तरक्की कर सकता है। अगर किसी भी फैसले पर दोनों की सहमति नहीं बनती है तो वो बिजनेस के लिए खतरा बन सकता है। ऐसे में दोनों के बीच सामंजस्य नहीं बैठ पाएगा, मतभेद होगा और आखिर में बिजनेस की दुर्गति होना तय है। ये बात परिवार पर भी लागू होती है।
परिवार को एक साथ बांधे रखने का काम परिवार के बड़ों का है। ऐसे में अगर घर के बुजुर्गों में किसी फैसले को लेकर सहमति नहीं बनेगी तो वो परिवार के लिए घातक हो सकता है। दोनों ही अपनी- अपनी तरह से घर को चलाने की कोशिश करेंगे और आखिर में उनके हाथ सिर्फ और सिर्फ असफलता ही लगेगी। इसी वजह से आचार्य चाणक्य का कहना है कि राज, गुप्तचर और मंत्री तीनों में मंत्रणा होना बहुत जरूरी है।