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कलयुग में पार्थिव शिवलिंग पूजन का है विशेष महत्व: स्वामी भवानीनन्दन यति

पार्थिव शिवलिंग पूजन

पार्थिव शिवलिंग पूजन

गाजीपुर। कलयुग में पार्थिव शिवलिंग का पूजन करने वाले साधकों पर हमेशा शिव की कृपा बरसती है। भगवान शिव की साधना कृपा बरसाने वाली है।

शिव की पूजा में पार्थिव लिंग के पूजन का विशेष महत्व है। ऐसे में सीधे साधे भोले के नाम से विख्यात भगवान भोलेनाथ जो सच्चे मन से अर्पित किए गए महज एक लोटा जल से भी खुश हो जाते हैं। उनका पूजन अर्चन करने से महाशिवरात्रि पर विशेष फल प्राप्त होता है। उपरोक्त बातें सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर महाशिवरात्रि के अवसर पर असंख्य पार्थिव शिवलिंग बनाकर हो रहे विशेष पूजन अर्चन अनुष्ठान के दौरान जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर व सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज ने कही।

उन्होंने कहाकि शिव महापुराण के अनुसार पार्थिव पूजा से तत्क्षण कलत्र पुत्रादि धन धान्य को प्रदान करती है और इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती है। सबसे अहम इस पूजा से अकाल में होने वाली अपमृत्यु का भी भय दूर हो जाता है। सिद्धपीठ पर महा शिवरात्रि पर्व पर मिट्टी के लगभग सवा लाख पार्थिव शिवलिंग (मिट्टी के शिवलिंग) बनाकर विधि विधान से पूजन अर्चन किया जाता है।

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महा शिवरात्रि की रात्रि पर्यंत चारों पहर होने वाले इस विशेष अनुष्ठान के लिए आचार्य पंडित सुरेश जी त्रिपाठी के आचार्यत्व में काशी से पधारे प्रकांड वैदिक विद्वानों के दल द्वारा पार्थिव शिवलिंग बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया। समूचा सिद्धपीठ मंत्रोच्चारण से गूंजने लगा। जहां रात्रि के चारों प्रहर विधि विधान से हरिहरात्मक पूजन, पार्थिव शिवलिंग आर्चन के साथ ही महाआरती का आयोजन किया गया है।

श्री यति जी महाराज ने कहाकि महाशिवरात्रि या अन्य दिनों पार्थिव शिवलिंग बनाने या फिर शिवार्चन महाशिव रात्रि के दिन पा​र्थिव शिवलिंग की पूजा स्त्री व पुरुष सभी कर सकते है। शिव महापुराण के अनुसार सभी वर्ण और सभी वर्ग के लोग भगवान शिव लिंगार्चन- शिवार्चन- रुद्राभिषेक आदि वैदिक अनुष्ठान कर सकते हैं। शिव पूजन करने में स्त्रियो का भी उतना ही अधिकार है| शिव सौभाग्य के देवता हैं इसलिए सुहागिन स्त्रियां भगवान शंकर से जुड़े तमाम व्रत एवं पूजन करती हैं। विधवा स्त्रियो को पारद के शिव लिंग के पूजन का विधान है , उन्हें पार्थिव पूजन नहीं करना चाहिए।

 

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