वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के अंदर सूर्य की किरणें आनी चाहिए। घर के ज्यादातर हिस्से में सूर्य की रोशनी होने से उस जगह के कई दोष खत्म हो जाते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार सूर्य है। सूर्य उर्जा और रचनात्मकता का कारक ग्रह है। सूर्य की ऊर्जा से ही पृथ्वी पर जीवन है। पंचतत्वों में से एक सूर्य का वास्तु शास्त्र में भी बहुत महत्व है। सूर्यदेव को अग्नि का स्वरूप माना गया है, अत: वास्तु शास्त्र में सूर्य का विशेष महत्व माना जाता है।
वास्तु शास्त्र में माना जाता है सूर्य का विशेष महत्व
अंधेरे कमरे में या जहां सूर्य की रोशनी नहीं आती है, उस घर में कीड़े-मकोड़े व सीलन अधिक रहेगी। वहां पर रहने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ेगा। यदि सूर्य का प्रकाश घर में आता है तो उसमें
रहने वाले ऊर्जावान महसूस करेंगे। ज्योतिष में सूर्य को आत्मा कारक ग्रह कहा गया है। सूर्य की रोशनी जिस घर में पड़ती है वहां के लोगों का आत्मविश्वास भी बढ़ जाता है।
कमरे में आ रही सूरज की रोशनी देती है लाभ
घर के जिन कमरों में सूर्य की रोशनी आती है, घर के उन हिस्सों में ऊर्जा ज्यादा होती है। सूर्य की रोशनी के कारण घर की नकारात्मकता खत्म हो जाती है। जिस घर में सूर्य का प्रकाश नहीं जाता, वहां रहने वाले लोगों की सेहत अक्सर खराब ही रहती है। अंधेरे कमरे में या जहां सूर्य की रोशनी नहीं आती है, वहां रहने वाले लोगों का आत्मविश्वास कम रहता है। ऐसे लोगों की जीवन शक्ति भी कम हो जाती है। रसोईघर एवं स्नानघर में भी सूर्य का प्रकाश पहुंचे ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए। घर में कृत्रिम रोशनी का उपयोग कम से कम रखना चाहिए।
शयन कक्ष में हो धीमी लाइट
शयन कक्ष में सदैव धीमा लाइट होनी चाहिए। शयनकक्ष में तेज रोशनी होगी तो हमारे आराम में बाधा डालेगी और नींद नहीं आएगी। शयनकक्ष या आरामकक्ष में हमारे सन्मुख लाइट नहीं होना चाहिए। पढ़ाई का कमरा यदि अलग है तो पढ़ते वक्त आंखों पर तेज रोशनी नहीं होना चाहिए, नहीं तो हमें पढ़ने में बाधा पहुंचेगी और नींद आने लगेगी।