लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को एक बार फिर समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि 2012 से 2017 के बीच राज्य में सरकारी पदों पर होने वाली नियुक्तियां एक खानदान के सदस्यों के बीच बांटी जाती थीं।
लोकभवन में शनिवार को बेसिक शिक्षा परिषद में नवचयनित 271 खंड शिक्षा अधिकारियों को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर में श्री योगी ने सपा शासनकाल को भर्तियों में भ्रष्टाचार, परिवारवाद, जातिवाद और योग्यता की उपेक्षा का काल बताया है।
निष्पक्ष एवं पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया से बेसिक शिक्षा विभाग में नव चयनित 271 खंड शिक्षा अधिकारियों को नियुक्ति पत्र वितरण… https://t.co/pRyaaLpVEz
— Yogi Adityanath (मोदी का परिवार) (@myogiadityanath) March 13, 2021
कहा कि एक नियुक्ति प्रक्रिया कोई चाचा देखता था तो दूसरी किसी भतीजे, मामा या नाना को आवंटित हो जाती थीं। जाति, धर्म और रुपयों की हैसियत ही नौकरी का पैमाना थी। युवा हताश और निराश था। यादव परिवार की तुलना महाभारत के पात्रों से करते हुए उन्होने कहा कि जैसे उस काल में काका-मामा-नाना जैसों ने भारत की प्रगति को अवरुद्ध किया, ठीक वैसे ही यह खानदान उत्तर प्रदेश की उन्नति में बाधक बना रहा।
मेंटली और फिजिकली एक्टिव रहने के लिए रोज करें एक्सरसाइज, मिलेंगे ये फायदे
उन्होंने कहा कि आज के उत्तर प्रदेश में केवल योग्यता और मेरिट ही सरकारी नौकरी का आधार है। कोई भी यह नहीं कह सकता कि उसने रुपये देकर या सिफारिश से नौकरी पाई है।
श्री योगी ने कहा कि 2017 से अब तक चार साल में चार लाख सरकारी पदों पर नियुक्तियां हुई हैं। यह 1950 से अब तक किसी भी लगातार चार साल में सर्वाधिक है। कई राज्यों में तो दशकों में इतनी नियुक्तियां नहीं हुई होंगी।
अकेले 1.20 लाख नौकरियां केवल बेसिक शिक्षा परिषद में ही हुई हैं। इसी तरह पुलिस विभाग में 1.37 लाख पदों पर नियुक्तियां हुईं। पिछली सरकारों ने पीएसी की 54 कंपनियां बन्द कर दीं, जबकि सुदृढ़ कानून-व्यवस्था के लिए संकल्पित वर्तमान सरकार ने इनके साथ-साथ महिलाओं की भी 03 पीएसी कंपनियां स्थापित कीं।
बहाल हुई चयन आयोगों व भर्ती बोर्डों की गरिमा
शुचितापूर्ण ढंग से नियुक्ति पाकर बेसिक शिक्षा परिषद में शामिल हुए नवनियुक्त खंड शिक्षा अधिकारियों को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने चार वर्ष पूर्व तक प्रदेश के विभिन्न चयन आयोगों/भर्ती बोर्डों में भ्रष्टाचार का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हर नियुक्ति जाति-मजहब देखकर होती थी। कई बार तो नौकरी देने के साथ-साथ यह लोग अपनी बेटियों-बहनों के लिए वर की तलाश भी कर लेते थे। इन आयोगों की छवि तार-तार हो गई थी। वर्तमान सरकार ने स्पष्ट चेतावनी दी कि उन्हें अपने कार्य के लिए पूर्ण स्वतंत्रता होगी, लेकिन अगर अनियमितता की शिकायत मिली तो पूरे आयोग पर कार्रवाई होगी। इन प्रयासों का नतीजा है कि आज कोई भी यह नहीं कह सकता कि उसने जुगाड़ से नौकरी पाई है।
कार्यक्रम में सीएम ने युवाओं से पूरी चयन प्रक्रिया के दौरान कहीं भी घूस देने अथवा सिफारिश करने की जरूरत के बारे में भी जानकारी ली, लेकिन सभी युवाओं ने एक स्वर से इस तरह की जरूरत को नकार दिया। नियुक्ति पत्र देते हुए श्री योगी ने खंड शिक्षाधिकारियों से कहा कि एक प्रतियोगी छात्र के रूप में उन्होंने शासन से जिस कार्यप्रणाली की अपेक्षा की थी, अब सिस्टम का हिस्सा होने के बाद स्वयं उसी अनुरूप कार्य करें। उन्होंने कहा कि नौकरी ईमानदारी से मिली है तो काम में भी ईमानदारी होनी चाहिए।
नवनियुक्त बीईओ को संबोधित करते हुए श्री योगी ने कहा कि टीमवर्क से बीते चार सालों में प्राथमिक शिक्षा का कायाकल्प हुआ है। आज प्रॉक्सी टीचर जैसी समस्या खत्म हो गई है। शिक्षकों का प्रशिक्षण हो रहा है। स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास हुआ है, साढ़े पांच लाख नए बच्चे स्कूल आये हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। अब इन कार्यों को आगे बढ़ाने का काम बीईओ का है। उन्होंने कहा कि विकास खंड आपका कमांड एरिया है, वहां की हर शैक्षिक गतिविधि की जिम्मेदारी आप की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीईओ अपने नवाचारों और अच्छे कार्यों की जानकारी उच्चाधिकारियों को भी दें। उन्होंने कहा कि बीईओ सतत निरीक्षण करते हुए बच्चों-अभिभावकों से सम्पर्क भी बनाएं। बच्चों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का भाव विकसित करें। इससे पहले बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.सतीश द्विवेदी ने नवनियुक्त खण्ड शिक्षाधिकारियों का बेसिक शिक्षा परिषद परिवार में स्वागत करते हुए उन्हें उनकी महती भूमिका से अवगत कराया।
विभागीय मंत्री ने प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में बीते चार साल की उपलब्धियों का श्रेय मुख्यमंत्री को दिया और कहा कि सीएम योगी युवाओं के सपनों में रंग भर रहे हैं उनके नेतृत्व में नए भारत का नया यूपी उभर कर आया है।