कानपुर के बिधनू थाना क्षेत्र के सेन पश्चिम पारा चौकी इलाके में छह सितम्बर को मिले नर कंकाल मामले में पुलिस ने पूरे रहस्य से पर्दा उठा दिया है। आउटर पुलिस की ओर से महराजपुर में सीओ सदर ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर मामले का खुलासा किया। सीओ सदर सुशील कुमार ने बताया नरकंकाल लालजी यादव का था और उसकी हत्या उसके पोते आशीष ने जमीन के लालच में दोस्तों संग की थी।
सीओ ने बताया कि बिधनू में मिला नरकंकाल महराजपुर के बौसर गांव निवासी 70 साल के लालजी यादव का था, जो दो सितम्बर को घर से अचानक गायब हो गए थे। तीन सितम्बर को मृतक लालजी के परिवार की ओर से महराजपुर में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। सीओ ने बताया कि लालजी यादव के कोई बेटा नहीं था केवल एक बेटी शशि थी, जिसकी शादी बिधनू के सेन पश्चिम पारा इलाके में हुई थी । वो अपने गांव में भाई और उनके बेटों संग रहते थे। लालजी के पास चार बीघा जमीन थी, जिसमें से एक बीघा पहले ही बेटी के नाम कर चुके थे बाकी बची जमीन वो अपने भतीजों को देना चाहते थे, जिनके साथ रहते थे।
तीन बीघा जमीन बनी हत्या का कारण
सीओ ने बताया कि यही तीन बीघा जमीन ही लालजी यादव की मौत का कारण बना। असल में बेटी, दामाद और उनका बेटा चाहते थे कि जमीन उन लोगों को ही मिले। इसको लेकर बेटी का बेटा आशीष कुमार उर्फ जीतू कई बार नाना लालजी पर दबाव भी बना चुका था। दो सितम्बर की शाम को आशीष अपने एक साथी के साथ बौसर पहुंचा और बहाने से नाना लालजी यादव को टौंस बाजार से अपने साथ ले गया।
बिधनू के सेन पश्चिम पारा इलाके के रेलवे पुल के पास हत्या कर शव को पेट्रोल डालकर जला दिया ताकि शव की शिनाख्त न हो सके। उधर शव मिलने के बाद से पुलिस लगातार इस मामले की पड़ताल में जुटी थी। सुराग मिलते गए और मुखबिरों की मदद से पुलिस कातिलों तक पहुंच गई। पूछताछ में आरोपी आशीष उर्फ जीतू ने पूरी कहानी पुलिस के सामने उगल दी कि कैसे उसने दोस्त के साथ मिलकर नाना लालजी यादव की हत्या की और फिर पेट्रोल डालकर शव को जलाया।
पुलिस ने फिलहाल मुख्य आरोपी आशीष को अपने नाना के कत्ल के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया है जबकि उसके साथी की तलाश कर रही है। वही मृतक की बेटी और दामाद पर हत्या में सहयोग करने और साक्ष्य मिटाने का मुकदमा दर्ज किया है।