कानपुर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण के तहत कानपुर नगर में मतदान होना है और दो दिवसीय नामांकन प्रक्रिया रविवार को खत्म हो गई। पहले दिन की भांति रविवार को दूसरे दिन भी सरकारी कर्मचारियों ने अदेय प्रमाण पत्र बनावाने के नाम पर जमकर लूट मचाई।
उम्मीदवारी खारिज होने के भय से उम्मीदवार मजबूरी में जो कर्मचारी जितना कहता गया उतना ही रुपया देने को उम्मीदवार मजबूर दिखे। इन दो दिनों में जनपद में 15428 उम्मीदवारों ने अलग—अलग पदों के लिए नामांकन कराया। एक उम्मीदवार से औसतन 1500 रुपया कर्मचारियों ने अदेय प्रमाण पत्र के नाम पर वसूली की। यही नहीं निर्देशन पत्र में निर्धारित शुल्क से दो से तीन गुना रुपया उम्मीदवारों से लिया गया। ऐसे में जनपद में लगभग दो करोड़ रुपये से अधिक सरकारी कर्मचारियों ने उम्मीदवारों से उगाही कर ली।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लगभग सभी उम्मीदवार इन दिनों मतदाताओं के बीच ईमानदारी की झूठीं कसमें खा रहे हैं। यह आरोप ऐसे ही नहीं लगाये जा रहे हैं, क्योंकि नामांकन के दौरान देखा गया कि सभी नामांकन कार्यालयों में सरकारी कर्मचारियों ने उम्मीदवारों से जमकर रुपयों की वसूली की और कोई विरोध करने की हिम्म्त नहीं जुटा सका। ऐसे में अगर यह कहा जाए कि पद मिलने से पहले कर्मचारियों ने इन उम्मीदवारों को भ्रष्टाचार का प्रशिक्षण दे गये तो अतिशयोक्ति नहीं होगा।
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देखा गया कि एक—एक कर्मचारी इन दो दिनों में खुलेआम अधिकारियों के नाक के नीचे लाखों रुपयों का वारा न्यारा कर गये। एक अदेय प्रमाण पत्र में तीन सौ से लेकर सात सौ रुपया लिया गया और एक उम्मीदवार को पांच अदेय प्रमाण पत्र बनवाना अनिवार्य था। जबकि सिर्फ जिला पंचायत की ओर से जो अदेय प्रमाण पत्र की रशीद काटी जा रही थी उसी में सिर्फ तीन सौ रुपया अधिकतम अंकित था और न्यूनतम सौ रुपया था। यह निर्धारित शुल्क अलग—अलग पदों के लिए था। बाकी अन्य चार प्रकार के अदेय प्रमाण पत्र में कोई भी शुल्क अंकित नहीं था। हालांकि जिला पंचायत ने जो शुल्क निर्धारित किया है उस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि जिसका बकाया हो उसी को अदेय प्रमाण पत्र बनवाने के लिए बकाया राशि जमा करवाना चाहिये। इस विषय पर अधिकारिक बयान नहीं मिल पाया है इसलिए इस पर अभी किसी निश्कर्ष पर पहुंचना उचित नहीं होगा। लेकिन सूत्र बताते हैं कि यह शुल्क भी नियमत: नहीं है।
अदेय प्रमाण पत्र बना वसूली का जरिया
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नामांकन कराने के लिए सभी पदों के उम्मीदवारों को पांच प्रकार के अदेय प्रमाण पत्र संलंग्न करना सुनिश्चित किया गया था। इसमें जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत, सहकारी समिति और भूमि विकास संबंधित रही। इन सभी विभागों के कर्मचारी नामांकन स्थलों पर मौजूद रहें। जिला पंचायत के कर्मचारी निधारित शुल्क तीन सौ रुपये व सौ रुपये जो अभी संदिग्ध है उसकी जगह तीन सौ रुपए से लेकर सात सौ रुपया ले रहे थे। क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत, सहकारी समिति और भूमि विकास बैंक के कर्मचारी अदेय प्रमाण पत्र के नाम पर दो सौ रुपये से लेकर पांच सौ रुपया ले रहे थे, जबकि यह सभी नि:शुल्क हैं और अदेय प्रमाण पत्र में कोई शुल्क राशि भी अंकित नहीं है।
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ऐसे उम्मीदवारों से ईमानदारी की कल्पना करना होगी बेईमानी
पांच प्रकार के अदेय प्रमाण बनवाने में एक उम्मीदवार से सरकारी कर्मचारियों ने 1500 से 2000 रुपया अतिरिक्त लिया जो पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है। लेकिन कोई भी उम्मीदवार विरोध करना तो दूर शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। उम्मीदवारों में खौफ रहा कि कहीं नामांकन न खारिज हो जाये। ऐसे में नामांकन करने वाले उम्मीदवारों से ईमानदारी की कल्पना शायद बेइमानी होगी, क्योंकि जब यह लोग नामांकन के दौरान हो रहे भ्रष्टाचार पर विरोध करने को तैयार नहीं है तो बाद में पंचायत सचिव व संबंधित अधिकारी के साथ पार्टी होना तय है। हालांकि कुछ उम्मीदवारों ने इसका विरोध भी किया पर समय के आभाव में अधिक विरोध करना उचित नहीं समझे। यह जरुर देखा गया कि मीडिया कर्मियों के पहुंचने पर बहुत से उम्मीदवारों ने हिम्मत जुटाई और कर्मचारियों की वसूली भी बच गये। यही नहीं नामांकन फार्म को भी निर्धारित शुल्क से दो से तीन गुना दामों में बेचा गया।
सरकारी कर्मचारियों ने उम्मीदवारों से ठगे दो करोड़ से अधिक रुपये
जनपद में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के 8857 पद हैं और 15428 उम्मीदवारों ने नामांकन कराया। अगर एक उम्मीदवार से औसतन 1500 रुपए सरकारी कर्मचारियों ने ठगे तो आंकड़ा दो करोड़ रुपये के पार पहुंच जाता है। दो दिनों में जनपद में उम्मीदवारों से इतनी बड़ी रकम ठग ली गई और इस पर उम्मीदवारों की चुप्पी बयां करती है कि इनके मन भी भ्रष्टाचार का कीड़ा जरुर रेंग रहा होगा। हालांकि यह बात सभी उम्मीदवारों पर नहीं लागू होती, पर जिस तरह से खुलेआम रुपया लिया गया और दिखावे के लिए अधिकारी टहलते रहे उससे एक चीज तो साफ हो गई कि भ्रष्टाचार का बीज बड़ा पौधा बनकर बसंत के मौसम का आनंद उठा रहा है।
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रटा— रटाया जुबान बोल रहे जिम्मेदार
सरकारी कर्मचारियों की इस तरह की लूट को कैमरे में भी कैद किया गया और जिम्मेदारों को दिखाया भी गया। इसके बावजूद रटा—रटाया जुबान बोल रहे हैं। एडीओ पंचायत कल्याणपुर सुशील कुमार ने कहा कि अगर कोई लिखित शिकायत करता है तो जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एडीओ पंचायत खंड विकास कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा जिस जगह अदेय प्रमाण पत्र बनाया जा रहा था, शिकायत करने पर पहुंचे भी और कर्मचारियों को सख्त हिदायत भी सार्वजनिक रुप से दी। इसके साथ ही कमरे में ले जाकर भी जमकर फटकार लगाई। ऐसी ही कुछ वर्जन कल्याणपुर खण्ड विकास अधिकारी अनिरुद्ध सिंह चौहान ने दिया और कहा कि कोई भी व्यक्ति यदि लिखित में हलफनामे के साथ शिकायत करता है तो जांच करवाकर दोषी पाए जाने पर विभागीय कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी। इसी तरह सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी बीरेन्द्र कुमार ने अधिकारिक बयान दिया। इन सभी जिम्मेदारों के बयान में एक बात जरुर रही कि सभी ने स्वीकार किया कि जिला पंचायत के अदेय प्रमाण पत्र को छोड़कर सभी प्रकार के अदेय प्रमाण पत्र नि:शुल्क हैं।
दूसरे दिन 8583 उम्मीदवारों ने कराया नामांकन
जिला पंचायत राज अधिकारी कमल किशोर ने बताया कि पांच बजे तक जो भी उम्मीदवार नामांकन परिसर में आ गया था उन सभी का अंतिम दिन भी नामांकन कराया गया है। इसलिए देर शाम सभी ब्लॉकों से रिपोर्ट आ पायी है। उन्होंने बताया कि 590 ग्राम पंचायत प्रधान पद के लिए दूसरे दिन 2066 उम्मीदवारों ने नामांकन कराया है। 7446 ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए 4647 नामांकन हुए। 789 क्षेत्र पंचायत सदस्य पद के लिए 1682 उम्मीदवारों ने नामांकन कराया है। इसी तरह जिला पंचायत सदस्य के 32 पदों के लिए 188 उम्मीदवारों ने नामांकन कराया है। सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी बीरेन्द्र कुमार ने बताया कि इस प्रकार नामांकन के दोनों दिनों में जनपद में कुल 8857 पद के सापेक्ष 15428 उम्मीदवारों ने नामांकन कराया।