देश के गावों में रिहायशी जायदाद (आवास) का ड्रोन से सर्वेक्षण कर लोगों को उसके मालिकाना हक का दस्तावेज (ग्रामीण आवासीय अभिलेख अथवा घरौनी) मुहैया करवाने वाली स्वामित्व योजना अब शनिवार यानि 24 अप्रैल से देश के सभी राज्यों में शुरू की जाएगी। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअल माध्यम से इस योजना के विस्तार का शुभारंभ करेंगे।
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वर्चुअल माध्यम से जुड़ेंगे। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के 425 गांवों के 57,401 ग्रामीणों को उनकी आवासीय संपत्तियों के दस्तावेज डिजिटलीय वितरित किए जाएंगे।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि अभी यह योजना उत्तर प्रदेश सहित देश के नौ राज्यों में ही चल रही थी। ग्रामीणों को घरौनी दस्तावेज मुहैया कराने के मामले में यूपी देश में सबसे आगे है।
प्रवक्ता के अनुसार देश की आजादी के बाद यह चैथा मौका होगा जब खेतों की खतौनी की तर्ज पर स्वामित्व योजना के अंतर्गत ग्रामीणों को उनकी आवासीय संपत्ति के मालिकाना हक के दस्तावेज के तौर पर ग्रामीण आवासीय अभिलेख जिसे घरौनी भी कहा जाता है वह दी जाएगी।
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इसके पहले बीते साल 12 अक्टूबर को इस योजना की शुरुआत होते समय सूबे के 37 जिलों के 346 गांवों के 41,431 ग्रामीणों को घरौनी दस्तावेज प्रधानमंत्री की मौजूदगी में डिजिटली वितरित किया गया था। इसके बाद बीते 15 दिसंबर को 229 गांवों के 10041 ग्रामीणों को घरौनी का वितरण किया गया। फिर बीती 12 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथो से सूबे में 11 जिलों के 1001 गांवों के 2,09,016 ग्रामीणों को उनकी आवासीय संपत्ति के मालिकाना देने संबंधी ग्रामीण आवासीय अभिलेख अथवा घरौनी प्रमाण पत्र मुहैया कराए गए थे। इसके बाद अब 24 अप्रैल को फिर सूबे के 425 गांवों के 57,401 ग्रामीणों को उनकी आवासीय संपत्तियों के दस्तावेज डिजिटलीय वितरित किए जाएंगे।
प्रवक्ता ने बताया कि शनिवार के इस कार्यक्रम के दौरान झांसी, ललितपुर, महोबा, चित्रकूट, एटा, इटावा, मैनपुरी, वाराणसी, बरेली, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, बदायूं, बागपत, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, और गौतमबुद्धनगर के कई गांवों के ग्रामीणों को उनकी आवासीय संपत्तियों के ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) उन्हें सौपे जाएंगे।
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स्वामित्व योजना के अंतर्गत दिया जाने वाला ग्रामीण आवासीय अभिलेखध्घरौनी केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। इसके तहत उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में गांवों का ड्रोन की मदद से डिजिटल मानचित्र तैयार किया जाएगा। डिजिटल मानचित्र के जरिये राज्य के करीब 82913 गांवों में ग्रामीण आवासीय अधिकार अभिलेख (घरौनी) तैयार किया जाना है। अब तक ड्रोन के जरिए 20298 गांवों का सर्वे किया जा चुका है और तेजी से गांवों का डिजिटल मैप बनाने का कार्य किया जा रहा है।
घरौनी के माध्यम से हर गांव और गांव में बने हर घर का अभिलेख ग्रामीण प्राप्त कर सकेंगे। इस दस्तावेज के जरिए ग्रामीण बैंकों से लोन प्राप्त कर सकेंगे। अभी तक गामीणों उनके मकान पर बैंक लोन नहीं देते थे, क्योंकि गांव में बने ग्रामीणों के मकान का कोई मालिकाना हक साबित करने वाला दस्तावेज उनके पास नहीं था। जिसका संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर तैयार की गई स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण आबादी में बने घरों के असली मालिकों को योगी सरकार उनका मालिकाना हक दे रही है। केंद्र सरकार की इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए प्रदेश के सही 75 जिलों में सर्वे का कार्य किया जा रहा है।
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राजस्व बोर्ड के अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2025 तक इस महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना को पूरा किया जाना है। तय समय में इस योजना के क्रियान्वयन के लिए एक रोडमैप बनाकर उस पर चरणबद्ध तरीके से कार्य किया जा रहा है।
बीते साल पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत स्वामित्व योजना उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में शुरू की गई थी। अब तक देश के 2,481 गांवों में ग्रामीणों को उनकी संपत्ति के अधिकार पत्र प्रदान किए जा चुके हैं। यह अधिकार पत्र पाने वालों में यूपी के ग्रामीण सबसे अधिक हैं। सूबे के इस योजना के तहत अब तक दो लाख 60 हजार 788 ग्रामीणों को यह अधिकार पत्र मिल चुका है।
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अधिकारियों का कहना है कि जिन ग्रामीणों को गांव की आवासीय संपत्ति का घरौनी दस्तावेज मिल गया है, वे ग्रामीण अब बिना किसी विवाद के संपत्ति खरीद और बेच पाएंगे और गांवों में लोगों के अपने घर पर होने वाले कब्जे की आशंका समाप्त हो जाएगी। गांवों के घरों की संपत्ति के आधार पर नौजवान बैंक से कर्ज लेकर अपना भविष्य बना पाएंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस योजना को ग्रामीणों की हितकारी योजना मानते हैं। बीती 12 फरवरी को मुख्यमंत्री ने स्वामित्व योजना में तमाम ग्रामीणों को उनके घर के ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) को ऑनलाइन वितरण करते हुए कहा था कि घरौनी मात्र भूमि का मालिकाना हक दिलाने वाला सरकारी कागज भर नहीं है। यह लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाने, आत्मसम्मान का बोध कराने और आत्मनिर्भरता की राह दिखाने का माध्यम है। ये विवाद और भ्रष्टाचार को खत्म करेंगे और जरूरत पड़ने पर इनके जरिए सहजतापूर्वक लोन भी लिया जा सकेगा।