सिदार्थनगर। सिद्धार्थ विश्व विद्यालय के हिंदी विभाग व अखिल भारतीय साहित्य परिषद गोरक्षप्रान्त इकाई के संयुक्त तत्वाधान में गुरुवार सायं ऑनलाइन साहित्य संवाद का आयोजन किया गया,मुख्य अथिति संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो सदानंद गुप्त ने व्याख्यान में कहा भारतीय राष्ट्रीयता की पहचान राजनीति से नही,सांस्कृतिक अस्मिता से होती है और भारतीय संदर्भ में राष्ट्रीयता राजनैतिक नही,भू-सांस्कृतिक अवधारणा है,समस्त भारत की ज्ञान परम्परा एक है।उन्होंने कहा गांधी,पन्त, अरविंद,निर्मल वर्मा आदि के संदर्भ में बताया कि पश्चिम की राष्ट्रबोध संकीर्ण है,और भारत का व्यापक तथा विश्व मानवतावादी, भारतीय राष्ट्रवाद विशाल विश्व मानवता की सेवा के लिये है, आगे उन्होंने कहा देश प्रेम अतीत की स्मृति अपने परिवेश के प्रति गहरा लगाव भारतीय राष्ट्रीयता की अनेक सारणियां है।नदी,पर्वत,सरोवर,नगर आदि हमारी राष्ट्रीयता की आधारभूत प्रमाण है,इस लिये वैश्विक बोध के लिये राष्ट्रबोध आवश्यक है।बिना राष्ट्रबोध के विश्वबोध नकली है। कार्यक्रम का संचालन डॉ जय सिंह यादव,डॉ प्रत्यूष दुबे ने कराया,स्वागत प्रो हरीश कुमार शर्मा,आभार डॉ सत्येंद्र कुमार दुबे,ने किया।