आपको हैरानी होगी यह सुनकर कि उत्तर प्रदेश का एक थाना ऐसा है, जहां आज भी न फोन है और न ही मोबाइल नेटवर्क। डिजिटल इंडिया के दौर में भी यहां सारे काम मैनुअल तरीके से ही हो रहे हैं। ऑनलाइन एफआईआर हो या डायल 112 की सेवा, यहां आकर सब दम तोड़ देते हैं। विशेष सूचनाओं के लिए यहां पुलिस अधिकारियों को वायरलेस सेट से मैसेज पास करना होता है और आपात स्थिति में लंबी दूरी तय कर संदेश वाहक भेजना होता है।
कई बार पुलिसकर्मी नजदीकी पहाड़ी या पेड़ पर चढ़कर मोबाइल इधर-उधर घुमाते हैं, तब शायद कभी नेटवर्क मिल जाता है। नक्सल प्रभावित सोनभद्र जिले के जुगैल थाने की यही हकीकत है। संचार सेवाओं से महरूम इस क्षेत्र में कर्मचारी ड्यूटी करने से कतराते हैं और बहुत मजबूरी में जाते भी हैं तो हर पल उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता सताती है।
डिजिटल इंडिया के इस दौर में हर गांव को हाईस्पीड इंटरनेट से जोड़ने की पहल हो रही है लेकिन जुगैल थाना अब तक मोबाइल नेटवर्क से नहीं जुड़ पाया है। इसके लिए पुलिस और दूरसंचार विभाग के लोगों का अपना रोना है। जुगैल थाने की सीमा मध्य प्रदेश से लगी हुई है। लिहाजा संदिग्ध गतिविधियों की सक्रियता के लिहाज से भी यह काफी संवेदनशील है। बावजूद इस इलाके को अब तक मोबाइल नेटवर्क से नहीं जोड़ा जा सका है।
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इलाके में किसी घटना की सूचना देनी हो या पुलिस की मदद लेनी हो लोगों को लंबी दूरी तय कर थाने तक आना पड़ता है। इसके चलते कई बार पुलिस समय पर मदद के लिए नहीं पहुंच पाती। संचार व्यवस्था की खामियों की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी जुगैल थाने पर तैनात कर्मियों को होती है। यहां थाने में पहले ऑफलाइन एफआइआर दर्ज कर ली जाती है।
बाद में वहां के कर्मी करीब 25 किमी दूर चोपन थाने आते हैं। यहां आने पर ही सब ऑनलाइन होता है। एएसपी सोनभद्र विनोद कुमार ने कहा कि जुगैल थाने में नेटवर्क को लेकर दिक्कत है। वहां वायरलेस सेट के माध्यम से संपर्क किया जाता है। टॉवर लगाने का प्रस्ताव भेजा गया है। दूरसंचार विभाग को थाने में ही जगह भी उपलब्ध कराई गई है। उम्मीद है कि जल्द ही समाधान होगा।
वहीं दूरसंचार एसडीओ डीके सिंह ने कहा कि जिले के कई क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या है। जुगैल भी उनमें से एक है। इन इलाकों में टॉवर लगाने का प्रस्ताव पूर्व में भेजा गया है। इसके लिए अभी धन अवमुक्त नहीं हो पाया है। धन मिलने पर ही कोई काम हो पाएगा।
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हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में जुगैल इलाके में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए पुलिस-प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। यहां हर केंद्र पर वायरलेस सेट के साथ पुलिस के अतिरिक्त जवान लगाए गए थे। रास्ते में भी टीमें लगातार वायरलेस सेट के साथ घूमती रहीं, ताकि सूचनाएं भेजने में कोई दिक्कत न आए।
वैसे तो सोनभद्र जिले के 40 फीसदी हिस्से में कमजोर नेटवर्क की समस्या है लेकिन कुछ इलाके ऐसे हैं जहां किसी भी कंपनी का नेटवर्क बिल्कुल काम नहीं करता। उसी में से एक है जुगैल का इलाका। यहां तो पुलिस के अधिकारी भी अपने थाना प्रभारी से बात करने के लिए वायरलेस पर मैसेज पास करते हैं। मध्य प्रदेश की सीमा से सटे इस इलाके के लोग या पुलिस वाले थाने से करीब 15 किमी की दूरी पर भरहरी या पहाड़ी पर चढ़कर बात करते हैं।
बिहार से सटे मांची, रामपुर बरकोनिया और दुद्धी थाना क्षेत्र के भी कई इलाकों में यह समस्या है। समस्या के समाधान के लिए करीब तीन वर्ष पहले सर्वे कर सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था। इसमें 143 टावर लगाने का सुझाव था लेकिन वर्षों बाद भी इस प्रस्ताव को हरी झंडी नहीं मिली है।