सूबे के डीजीपी मुकुल गोयल ने कहा कि भीड़ द्वारा की गयी हिंसा एवं हत्या की घटनाएं जघन्य अपराध हैं। व्यक्तियों के किसी समूह अथवा भीड़ द्वारा कानून का स्वयं पालन कराये जाने पर किसी व्यक्ति के विरूद्ध हिंसात्मक कार्रवाई करना विधि के अन्तर्गत पूर्णतया अक्षम्य एवं दण्डनीय अपराध है। इस प्रकार की प्रत्येक घटना एवं ऐसी किसी भी घटना को उकसाने वाली दुष्प्रवृत्ति को रोकना प्रमुख कर्तव्य है।
पुलिस प्रमुख मुकुल गोयल ने इस संबंध में सभी जोनल एडीजी पुलिस आयुक्त, रेंज के आईजी व डीआईजी एवं जिलों के पुलिस कप्तानों को जिलों में भीड़ द्वारा कारित हिंसा एवं हत्या किये जाने की घटनाओं की रोकथाम के सम्बन्ध में नोड्ल अधिकारी नामित करने एवं अभियोगो की विवेचनाओं आदि के सम्बन्ध में मुख्यालय स्तर से पूर्व में जारी निदेर्शों का कड़ाई से प्रभावी अनुपालन कराये जाने के निर्देश दिये हैं।
पुलिस महानिदेशक निर्देश दिये कि विगत में भीड़ द्वारा कारित हिंसा व हत्या की घटनाओं का आकलन कर संवेदनशील स्थानों का चिन्हिकरण करते हुए अतिरिक्त सजगता के साथ प्रभावी कार्रवाई की जाये। इस प्रकार की घटनाओं में संलिप्त पाये जाने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध अविलम्ब विधि सम्मत कठोर कार्रवाई की जाय। चिन्हित स्थानों पर अभिसूचना तंत्र को और अधिक सक्रिय करते हुए प्रभावी पुलिस पेट्रोलिंग की कार्रवाई करायी जाय।
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पुलिस प्रमुख ने कहा कि सोशल मीडिया पर इसके सम्बन्ध में फैलाई जा रही अफवाहों का त्वरित रूप से खण्डन किया जाय। सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले अफवाहों को रोकने के लिए सांभ्रान्त व्यक्तियों, जिम्मेदार नागरिकों एवं डिजिटल वालिन्टियर्स का सक्रिय सहयोग लिया जाय। इस प्रकार की घटना आदि को बढ़ावा देने वाले आपत्तिजनक संदेशों तथा वीडियों आदि को प्रसारित करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध उचित धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर कठोर कार्यवाही की जाय।
उन्होंने कहा कि नोडल अधिकारी भीड़ द्वारा की गयी हिंसा व हत्या से पीड़ित परिवार के सदस्यों को उप्र पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना-2014 के अन्तर्गत अनुमन्य आर्थिक क्षतिपूर्ति आदि दिलाने के लिए नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करें।