सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा त्योहार करवाचौथ (Karwa Chauth) अब कुछ ही दिनों दूर है। इस बार 20 अक्टूबर को ये त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास रखकर, अपनी पति की लंबी आयु की कामना करती हैं और शाम के समय 16 श्रृंगार कर के चांद की पूजा करती हैं। करवाचौथ की पूजा बहुत विधि-विधान से की जाती है। इसकी पूजा के लिए जो थाली तैयार की जाती है, उसमें शामिल सभी चीजों का भी बहुत ही खास महत्व होता है।
चलिए जानते हैं कि करवाचौथ (Karwa Chauth) की पूजा की थाली में क्या चीजें जरूर शामिल करनी चाहिए और इन चीजों का क्या महत्व है।
जल
ताजगी और शुद्धता के प्रतीक जल को, करवाचौथ (Karwa Chauth) की पूजा की थाली में जरूर शामिल किया जाता है। करवा चौथ की पूजा में जल से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। आप इस जल में गंगाजल की कुछ बूंदे भी मिला सकती हैं। यह बहुत शुभ माना जाता है।
फूल
किसी भी पूजा-पाठ में फूल का इस्तेमाल जरूर किया जाता है। करवाचौथ की पूजा की थाली में भी फूल जरूर रखने चाहिए क्योंकि फूलों के बिना पूजा अधूरी होती है।
फल और मिठाइयां
किसी भी पूजा में भगवान को भोग लगाना बहुत जरूरी होता है। हर पूजा में भोग लगाने के लिए अलग-अलग खाद्य सामग्रियों को शामिल किया जाता है। करवाचौथ की पूजा में भोग के लिए फल और मिठाइयों को शामिल करने की परंपरा है। मिठाई में आप लड्डू, बर्फी आदि को शामिल कर सकती हैं। इसके अलावा फल में सेब, अनार, केला जैसे मौसमी फलों को पूजा की थाली में रख सकती हैं।
कलश
करवाचौथ (Karwa Chauth) की पूजा में कलश यानी करवे को जरूर शामिल किया जाता है। इसके लिए आप मिट्टी अथवा धातु से बने कलश को रख सकती हैं। इसे सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
घी का दीपक
पूजा के समय दीपक जलाने से पॉजिटिव एनर्जी आती है। करवा चौथ की पूजा के दौरान दीपक जरूर जलाया जाता है और बाद में इसी से आरती करके पूजा संपन्न होती है। आप आटे और हल्दी से बना हुआ दीपक भी पूजा में शामिल कर सकती हैं। इसे बहुत शुभ माना जाता है।
सिंदूर
करवाचौथ (Karwa Chauth) का त्योहार सुहागन महिलाओं का त्योहार है और सुहागिन महिलाओं के लिए सिंदूर बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। करवाचौथ की पूजा थाली में सिंदूर भी जरूर रखा जाता है। पूजा करने के बाद अपनी सिंदुरदानी से सिंदूर चढ़ाकर सुहाग लेने की परंपरा है।
छलनी
छलनी को जीवन की निरंतरता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। करवा चौथ (Karwa Chauth) की पूजा में इसका भी खास महत्व होता है। महिलाएं पूजा के बाद छलनी से ही चंद्रमा का दर्शन करके उन्हें अर्घ्य देती हैं और बाद में इसी छलनी से अपने पति को देखकर करवाचौथ का व्रत पूर्ण करती हैं।