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इंटरेस्ट से होने वाली इनकम पर भी लगता है टैक्स, ऐसे बचाएं टीडीएस

Inome Tax Bill

Inome Tax Bill

बैंक खाता रखने वाला कोई भी व्यक्ति अपनी जमा राशि पर कुछ ब्याज प्राप्त करता है और यह विशेष आय टैक्स (Tax) के दायरे में आती है. अपने बैंक खातों से ब्याज से होने वाली के बारे में आपको पता होना चाहिए कि आयकर अधिनियम की धारा 194ए के अनुसार भुगतान के समय या ब्याज के क्रेडिट (किसी भी नाम से किसी भी खाते में), जो भी पहले हो, पर टैक्स काटा जाता है.

सोर्स पर टैक्स कटौती (टीडीएस) के प्रावधान वर्तमान में वेतन, ब्याज, कमीशन, दलाली, पेशेवर शुल्क, रॉयल्टी आदि जैसे कई भुगतानों पर लागू होते हैं. वित्तीय वर्ष के दौरान फिक्स्ड डिपॉजिट के संबंध में पाने वाले के लिए 40,000 रुपए से अधिक नहीं है. वहीं वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 50,000 रुपए है.

ब्याज की इनकम पर TDS से कैसे बचें

टैक्सपेयर्स (Taxpayers) के लिए एक बड़ी राहत यह है कि यदि उनकी वार्षिक कर योग्य आय टैक्स छूट सीमा से कम है, तो वे उचित व्यक्ति या संगठन को फॉर्म 15जी या 15एच फॉर्म जमा करके इंटरेस्ट और रेंट जैसी इनकम पर टीडीएस से आसानी से बच सकते हैं.

बता दें कि फॉर्म 15G और 15H फॉर्म तब चलन में आते हैं जब एक करदाता की ब्याज आय सीमा से कम होती है और वह TDS का भुगतान करने से बचना चाहता है. 60 वर्ष से कम आयु के लोगों को फॉर्म 15G जमा करना आवश्यक है, जबकि 60 वर्ष से अधिक आयु वालों को फॉर्म 15H जमा करना आवश्यक है.

फॉर्म 15जी/15एच जमा करना

करदाता जो प्रपत्र संख्या 15जी/15एच में घोषणा प्राप्त करता है, उसको ई-फाइलिंग साइट (incometax.gov.in) पर तिमाही आधार पर अपने डिजिटल हस्ताक्षर के तहत ऐसी घोषणाओं की डिटेल अपलोड करनी होगी.

पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही के अंत से 15 दिन तक, और चौथी तिमाही के अंत से 30 दिन तक,

फॉर्म 15जी/15एच में घोषणा केवल भारत में रहने वाले व्यक्ति द्वारा ही की जा सकती है.

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फॉर्म संख्या 15जी/15एच में घोषणा की जा सकती है, यदि वार्षिक ब्याज छूट की सीमा से अधिक नहीं है (यानी 2,50,000 रुपए या 3,00,000 रुपए या 5,00,000 रुपए, जैसा भी मामला हो).

वरिष्ठ नागरिकों पर लागू नहीं ये शर्त

सबसे खास बात ये है कि यह शर्त एक वरिष्ठ नागरिक के मामले में लागू नहीं होती है, यानी एक निवासी वरिष्ठ नागरिक फॉर्म 15एच में घोषणा प्रस्तुत कर सकता है, भले ही उसे वार्षिक ब्याज का भुगतान 2,50,000 रुपए या 5,00,000 रुपए की छूट सीमा से अधिक हो, जैसा भी मामला हो हो सकता है, बशर्ते धारा 87ए के तहत छूट पर विचार करने के बाद उसकी कुल आय पर टैक्स शून्य होना चाहिए.

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