मुंबई| कोरोना महामारी के बीच सरकारी बैंकों पर आम लोगों का भरोसा बढ़ा है। आम लोग निजी बैंकों के मुकाबले सरकारी बैंकों से लोन लेना चाह रहे हैं। इसके चलते जुलाई-अगस्त के दौरान सरकारी बैंकों से खुदरा लोन लेने के लिए पूछताछ में बढ़ोतरी दर्ज की गई। क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी (सीआईसी) ने मंगलवार को अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
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ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना संकट और सोशल डिस्टेंसिंग के चलते डिजिटल यानी ऑनलाइन एक बड़ा जरिया जरूर बना है। इसके बावजूद बैंक की शखा की अहमियत बनी हुई है। वह इस संकट के वक्त में भी महत्वपूर्ण रोल अदा कर रहे हैं। वहीं, बैंक के पास लोन की पूछताछ आने पर वह उस व्यक्ति की जानकारी सीआईसी या दूसरी सिबिल स्कोर देने वाली कंपनी से जुटाते हैं।
जूलाई से अगस्त, 2020 के दौरान सरकारी बैंकों में लोन के लिए बड़ी संख्या में पूछताछ बढ़ी क्योंकि वह एनबीएफसी और निजी बैंकों से पहले अपने काम का संचलान शुरू कर दिए थे। दो महीने के दौरान करीब एक दर्जन से अधिक सरकारी बैंकों में लोन के लिए पूछताछ 102 फीसदी रही।
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रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई-अगस्त में मेट्रो क्षेत्रों की हिस्सेदारी घटकर 37 प्रतिशत रह गई, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 41 प्रतिशत और इस साल जनवरी-फरवरी में 40 प्रतिशत थी। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में पूछताछ बढ़कर 17 फीसदी पहुंच गई।
एक दशक पहले यानी मार्च 2010 में सरकारी बैंकों की लोन बाजार में हिस्सेदारी 75.10 फीसदी थी। दिसंबर, 2019 में यह गिरकर 57.10 फीसदी पर पहुंच गया। इस दौरान निजी बैंकों ने अपनी हिस्सेदारी 17.4% से बढ़ाकर 35% कर लिया।