राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि न्यायपूर्ण समाज की स्थापना तभी संभव हो सकती है जब महिलाओं की भी न्याय पालिका में भागीदारी बढ़े। महिलाओं में न्याय प्रकृति अधिक होता है। उनमें सबको न्याय देने में क्षमता होती है। महिलाओं में न्याय की समझ भी अधिकतम होती है। महिला अपने ससुराल, मायका, पति और पुत्र में एक साथ समन्वय बनाती है।
राष्ट्रपति ने शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायालय की प्रधानपीठ परिसर में मल्टी लेवल पार्किंग, अधिवक्ता चैंबर का शिलान्यास, झलवा में बनाए जाने वाले राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी। इस मौके पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्याल और अधिवक्ता चैंबर का शिलान्यास कर खुशी भी जताई। राष्ट्रपति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की सराहना कर कहा कि न्यायाधीशों की संख्या की दृष्टि से देखे तो इलाहाबाद हाईकोर्ट सबसे बड़ा न्यायालय है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की परंपरा और विशिष्टता का उल्लेख कर राष्ट्रपति ने कहा कि महामना पं. मदन मोहन मालवीय, टीबी सप्रू, पं. मोती लाल नेहरू, पुरुषोत्तम दास टंडन, कैलाशनाथ काटजू जैसे विशिष्ट ने इसी परिसर से गौरवशाली इतिहास लिखे। राष्ट्रपति ने उच्च न्यायालय में महिला न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं की संख्या बढ़ाने पर जोर देकर कहा आज लोग न्यायपालिका से मदद लेने से हिचकिताते हैं। सभी को न्याय मिले। सभी को समझ में आने वाली भाषा में निर्णय हो। महिलाओं और दबे कुचले लोगों को न्याय मिले। इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1925 में देश की पहली महिला वकील का पंजीकरण इलाहाबाद हाई कोर्ट में ही हुआ था। अभी हाल ही में तीन महिला न्यायधीशों की नियुक्ति हुई है, यह ऐतिहासिक है।
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उन्होंने न्यायालयों में लंबित मामलों के निस्तारण,जजों की संख्या और पर्याप्त संसाधन बढ़ाने पर जोर देकर कहा कि आज ही के दिन 128 वर्ष पहले शिकागो में स्वामी विवेकानंद ने भारत के गौरवशाली परंपरा की सराहना की थी। स्वामी जी ने हर प्रकार के उत्पीड़न का विरोध किया था। उन्होने सहिष्णुता का संदेश पूरी मानवता तक पहुंचाया था। 11 सितंबर को जो कीर्तिमान स्वामी जी ने स्थापित किया था उसका अनुसरण उम्मीद है कि युवा करेंगे। राष्ट्रपति ने विधि विश्वविद्यालय के शिलान्यास का उल्लेख कर कहा कि उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में विश्वस्तरीय विधि व्यवस्था हमारे राष्ट्र और समाज में एक है। कक्षा 12 के बाद ही विधि में छात्र हिस्सा लेते हैं। स्कूल स्तर से ही कानून के क्षेत्र में कॅरियर बनाते हैं। विधि शिक्षण के सभी संस्थानों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी जाए। उम्मीद है यहां श्रेष्ठतम व्यवस्था की जाएगी। राष्ट्रपति ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों के प्रति आभार भी जताया। समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने लंबित मुकदमों पर चिंता जताई। उन्होंने बार और बेंच को मिलकर कार्य करने का संदेश दिया।
इसके पहले तालियों की गड़गड़ाहट के बीच मंच पर राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमना, केन्द्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू , प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की मौजूदगी में दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आनन्द भूषण सरन के तैल चित्र का राष्ट्रपति ने अनावरण भी किया।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति विनीत सरन, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी भी मौजूद रहे।