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रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते भारतीय गेहूं की बढ़ी डिमांड

भारतीय गेहूं

भारतीय गेहूं

नई दिल्ली| भारत के गेहूं (Indian wheat) एक्सपोर्ट में इस साल तेजी आ सकती है। इसकी वजह रूस-यूक्रेन जंग (Russia-Ukraine war) है। दरअसल, रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine) दुनिया के बड़े गेहूं एक्सपोर्टर (wheat exporter) है। रूस दुनिया में गेहूं एक्सपोर्ट (wheat exporter) करने के मामले में पहले नंबर पर है तो वहीं यूक्रेन पांचवां बड़ा एक्सपोर्टर है। जंग की वजह से गेहूं का एक्सपोर्ट (wheat exporter)  प्रभावित हो सकता है। इस वजह से भारत के पास बायर्स की इन्क्वायरी बढ़ गई है।

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यूक्रेन ( Ukraine ) पिछले एक दशक में बड़ा ग्रेन एक्सपोर्टर(wheat exporter)  बनकर उभरा है। इस साल इसके दुनिया में तीसरे नंबर पर रहने की संभावना थी, लेकिन यूक्रेन की सेना ने अपने पोर्ट पर कॉमर्शियल शिपिंग को सस्पेंड कर दिया है, जिससे ग्रेन और ऑयल सीड एक्सपोर्ट प्रभावित होना तय है। ऐसे में भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया भी दुनिया में गेहूं का टॉप सप्लायर बन सकता है।

कजाकिस्तान, जॉर्जिया, तुर्की, इजिप्ट और पाकिस्तान टॉप 5 देश है जो रूस से गेंहूं इंपोर्ट करते हैं। वहीं यमन, लीबिया और लेबनान जैसे देश जो पहले से ही युद्ध से गुजर रहे हैं वो अपने गेहूं के लिए यूक्रेन पर निर्भर है। यमन अपनी खपत का 22% यूक्रेन से इंपोर्ट करता है। लीबिया लगभग 43% और लेबनान अपनी खपत का लगभग आधा गेहूं यूक्रेन से इंपोर्ट करता है। इस टकराव से इन देशों में अस्थिरता और ज्यादा बढ़ सकती है।

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लगातार पांच रिकॉर्ड फसलों के बाद, भारत के पास गेहूं का बड़ा भंडार है। लेकिन, गेहूं के अनफवरेबल ग्लोबल रेट के कारण इसके शिपमेंट में परेशानी आई। ओलम एग्रो इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट नितिन गुप्ता ने रॉयटर्स को बताया कि ब्लैक सी बेल्ट दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं सप्लायर है, लेकिन मौजूदा अनिश्चितता को देखते हुए, डिमांड भारत में शिफ्ट हो जाएगी। इसके अलावा, वर्ल्ड मार्केट में गेहूं की उपलब्धता वैसे भी अप्रैल-मई तक सीमित रहती है, और भारत आसानी से इस मौके का फायदा उठा सकता है।

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ट्रेडर्स ने कहा कि भारत ने साल 2021 में 61.2 लाख टन गेहूं एक्सपोर्ट किया था। अब 2022 के फर्स्ट हाफ में 40 लाख टन अनाज बेचने की संभावना है। एक ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म के प्रमुख ने कहा, ‘कई सालों में पहली बार भारत के गेहूं के लिए इतनी इन्क्वायरी आई है।’

इंडियन सप्लायर्स 305 डॉलर से 310 डॉलर प्रति टन में गेहूं का एक्सपोर्ट कर रहे थे। इस बार उन्हें 330 डॉलर प्रति टन का रेट मिल सकता है। बांग्लादेश, फिलीपींस, साउथ कोरिया, श्रीलंका और UAE भारतीय गेहूं (Indian wheat)  के मुख्य खरीदारों में से हैं, लेकिन लेबनान जैसे नए खरीदार भी भारत की ओर रुख कर सकते हैं

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