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आईटी सेक्टर, ई-कॉमर्स समेत नए क्षेत्रों में नौकरियों के अवसर बढ़े

आईटी सेक्टर

आईटी सेक्टर

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के दौर में पिछले तीन से चार महीने में नौकरियां के पैमाने बिल्कुल ही बदल गए हैं। अब पारंपरिक क्षेत्रों के मुकाबले नए उभरते क्षेत्रों में ही नौकरियों के मौके मिलने शुरू हुए हैं। जॉब कंसल्टेंसी फर्म ग्लोबल हंट के मुताबिक कंपनियां अपने नए प्रोजेक्ट की जरूरत के हिसाब से ही चुनिंदा क्षेत्रों में ही नौकरियों के नए मौके दे रही हैं।

ग्लोबल हंट के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील गोयल के मुताबिक पहले के मुकाबले आधी पोजिशन के लिए भी नौकरियों के मौके नहीं बचे हैं।

उनके मुताबिक बढ़ते वर्क फ्रॉम होम कल्चर की वजह से आईटी सेक्टर में नौकरियों की मांग जरूर बढ़ी है। साथ ही साइबर सुरक्षा और ई-कॉमर्स की कंपनियां भी नई नौकरियां दे रही हैं। हालांकि एविएशन, होटल और हॉस्पिटालिटी जैसे क्षेत्रों में मांग बिल्कुल भी खत्म हो गई है। उन्होंने ये भी बताया है कि पहले जहां मैर्केटिंग जैसे वर्टिकल्स में नौकरियों की मांग हुआ करती थी, अब कंपनियां रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए नए लोगों को रखने में ज्यादा तवज्जो दे रही हैं। मौजूदा माहौल में जिन कंपनियों की खर्च करने की क्षमता है वो भविष्य की रणनीति पर ज्यादा फोकस कर रही हैं। देश और विदेश में कोरोना संकट के चलते आई मांग में गिरावट की वजह से कंपनियों की बिक्री प्रभावित हो रही है। ऐसे में कंपनियों का पूरा फोकस ज्यादातर अपना खर्च घटाने की तरफ ही है।

तीन माह बाद नई भर्तियां

फिक्की की तरफ से मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में किए गए एक सर्वे में 85 फीसदी कंपनियों ने कहा कि वो अगले तीन महीने तक नई भर्ती नहीं करेंगी। यही नहीं कई क्षेत्रों में कंपनियां अभी भी एक तिहाई या फिर आधे से कम कामगारों के साथ काम कर रही हैं। इनमें से ज्यादातर सिर्फ स्थाई कामगार ही बचे हैं। टेक्सटाइल, टेक्सटाइल मशीनरी, लेदर, और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में 33 से 36 फीसदी लोग ही कंपनियों मं  काम रहे हैं। वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में 42 फीसदी और कैपिटल गुड्स कंपनियां को सिर्फ 41 फीसदी कामगारों के साथ काम करना पड़ रहा है।

हालांकि फार्मा और सीमेंट क्षेत्र में जरूर उत्पादन क्षमता में इजाफा देखने को मिला है। केमिकल, फर्टिलाइजर, मेटल और फार्मास्युटिकल्स क्षेत्र में 50 फीसदी वहीं सीमेंट और सेरामिक्स कंपनियां 57 फीसदी कामगारों के साथ काम कर रही हैं।

सर्वे में कंपनियों की तरफ से कहा गया है घटती मांग के चलते पहले से बना हुआ सामान ही उनके पास पड़ा हुआ है। ऐसे में जब तक मौजूदा सामान नहीं बिकता है, नया बनाने की जरूरत बेहद कम है। साथ ही एक्सपोर्ट घटने और कंपनियों के पास नया निवेश न आने की वजह से भी ये संकट गहराता जा रहा है। कंपनियों की मांग है कि सरकार उत्पादों पर जीएसटी घटाए साथ ही लोगों को आयकर में छूट जैसे उपाय करे ताकि लोगों के हाथ में पैसा आए और वो खरीदारी कर सकें। तभी मांग बढ़ेगी और कंपनियों की हालत में सुधार देखने को मिलेगा।

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