नई दिल्ली| केंद्र सरकार ने माल एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था के कार्यान्वयन के पहले दो साल में जीएसटी मुआवजे की 47,272 करोड़ रुपये की राशि को गलत तरीके से रोककर कानून का उल्लंघन किया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने जीएसटी मुआवजा उपकर का इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के लिए किया, जो जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर कानून का उल्लंघन है। इस राशि का इस्तेमाल राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए ही किया जाना था।
सरकारी खातों पर जारी अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि इस राशि को सतत् जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर संग्रह कोष में डाला जाना था। वर्ष 2017 से जीएसटी लागू किए जाने के बाद राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिये यह कोर्ष बनाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने ऐसा नहीं किया, जो जीएसटी कानून का उल्लंघन है।
कैग ने कहा कि 2017-18 में 62,612 करोड़ रुपये की राशि क्षतिपूर्ति उपकर के रूप में जुटाई गई। इसमें से 56,146 करोड़ रुपये की राशि ही उपकर कोष में स्थानांतरित की गई। इसी तरह 2018-19 में उपकर से 95,081 करोड़ रुपये की राशि जुटाई गई, जबकि 54,275 करोड़ रुपये की राशि ही क्षतिपूर्ति कोष में स्थानांतरित की गई।
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जीएसटी परिषद में चालू वित्त वर्ष के दौरान राज्यों की जीएसटी क्षतिपूर्ति का मुद्दा केंद्र और राज्यों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है। जीएसटी में उत्पाद शुल्क और मूल्यवर्धित कर (वैट) सहित 17 विभिन्न केंद्रीय और राज्य कर समाहित किए गए हैं। केंद्र का कहना है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से क्षतिपूर्ति उपकर के रूप में अधिक राशि नहीं जुटाई जा सकी है। यह क्षतिपूर्ति उपकर विलासिता वाली और अहितकर वस्तुओं पर लगाया जाता है।