नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार ने कहा कि भारतीय नौसेना समुद्री सीमाओं को सुरक्षित करने में पूरी तरह से सक्षम है। भारत को कोई धोखा नहीं दे सकता। समुद्र में चीनी युद्धपोतों और अन्य संदिग्ध जहाजों की आवाजाही पर भारत 2 प्रीडेटर ड्रोन से बंगाल की खाड़ी से लेकर पूरी समुद्री सीमाओं पर नजर रख रहा है। भारत लगातार अपनी समुद्री सरहद की सुरक्षा बढ़ा रहा है। चीन अरबों डॉलर के बुनियादी ढांचे के निवेश के माध्यम से श्रीलंका में घुसपैठ कर रहा है, जिससे भारत की चिंताएं बढ़ी हैं लेकिन ऐसी गतिविधि पर भारतीय सुरक्षा बलों की कड़ी नजर है।
उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में भारत ने खुद को कई गुना मजबूत किया है, जिससे चीन को उसकी हर चाल का जवाब दिया गया। भारत हर मोर्चे पर न केवल चौकन्ना है, बल्कि चीन की हर चालबाजी को पूरी तरह ध्वस्त करने की भी हमारी तैयारी है। पिछले साल लद्दाख में भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ने पर भारतीय नौसेना ने अमेरिका से दो 2 प्रीडेटर ड्रोन लिए थे।
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चीन की चुनौती से निपटने के लिए भारत फिलहाल इन्हीं 2 प्रीडेटर ड्रोन से बंगाल की खाड़ी से लेकर पूरी समुद्री सीमाओं पर नजर रखे हुए है। यह चीन, जापान, श्रीलंका हर देश के जहाजों पर नजर रखने में सक्षम है। अब कोई हमें समुद्री सरहद पर चौंका नहीं सकता। अब इसके बाद 30 प्रीडेटर ड्रोन लिए जायेंगे, जिससे समुद्री सीमा पर दूर तक निगरानी रखी जा सकेगी।
दुश्मन के खिलाफ भारत की समुद्री नीति के बारे में नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार ने कहा कि हिन्द महासागर और भारतीय समुद्री सीमा से प्रति घंटे एक लाख, 20 हजार जहाज गुजरते हैं। भारत ने चीन पर रणनीतिक दबाव बढ़ाने के लिए समुद्री सीमाओं को मजबूत करने की योजना बनाई है।
इसी के तहत भारतीय नौसेना अपने बेड़े में 06 नई पनडुब्बियां शामिल करने की तैयारी कर रही है। इससे समुद्र में भारत की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि सबमरीन किसी भी नौसेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में छह पनडुब्बियां बनाने का फैसला अहम है। भारतीय नौसेना के जवान चीन की चालाकी पर बारीकी से नजर बनाए रहते हैं। चीन बार-बार समुद्र में अपना कब्जा जमाने की कोशिश करता रहता, लेकिन इसकी यह साजिश कामयाब नहीं हो पाती है।
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श्रीलंका में चीनी नौसेना को नई बंदरगाह परियोजनाएं दिए जाने पर भारतीय नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार ने कहा कि यह क्षेत्र में भारतीय हितों के लिए खतरा हो सकता है और इस तरह की गतिविधि पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है।
कोलंबो पोर्ट सिटी को नियंत्रित करने वाले कानूनों पर श्रीलंकाई संसद में ‘पोर्ट सिटी बिल’ पारित होने के बाद श्रीलंका में चीन की बढ़ती उपस्थिति पर भारत की चिंताएं बढ़ने लगीं हैं। चीन 1.4 बिलियन डॉलर से श्रीलंका में पोर्ट सिटी बना रहा है, जो श्रीलंका में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा उपक्रम माना जाता है। श्रीलंका में चीन की बढ़ी हुई उपस्थिति पर चिंता जताते हुए नौसेना अधिकारी ने कहा कि यह भारतीय हितों के लिए ‘खतरा’ हो सकता है लेकिन ऐसी गतिविधि पर भारतीय सुरक्षा बलों की कड़ी नजर है।
उन्होंने कहा कि श्रीलंका की संसद ने कोलंबो पोर्ट सिटी को नियंत्रित करने के लिए ‘पोर्ट सिटी बिल’ पारित किया है, जिसके बाद श्रीलंका में चीन की बढ़ती उपस्थिति पर भारत की चिंताएं बढ़ने लगीं हैं। इस बिल के पारित होने से न केवल चीन को श्रीलंका की धरती पर कार्य करने की आजादी मिली है, बल्कि देश के संसाधनों पर उसे कब्ज़ा लेने में भी आसानी होगी।
पिछले महीने श्रीलंका में चीन की उपस्थिति पर तब नाराजगी बढ़ गई, जब वहां तमिल भाषा में लगे साइनेज चीनी भाषा मंदारिन में बदले जाने लगे। द्वीप राष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में तमिल भाषा के बजाय मंदारिन भाषा में दो साइनबोर्ड लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि चाइना कम्युनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी के बहाने चीनी नागरिकों को शहर में प्रवेश करने की अनुमति मिलने से स्थानीय लोगों को भी डर है।