नई दिल्लीः भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच एलएसी पर शांति कायम करने के लिए पांच-सूत्रीय सहमति के बाद शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजधानी दिल्ली में एनएसए अजीत डोवाल, सीडीएस और तीनों सेना प्रमुखों के साथ एलएसी के हालात को लेकर समीक्षा-बैठक की। भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर मौजूदा हालात और मास्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच तय हुए शांति-फॉर्मूले पर चर्चा हुई।
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पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर दोनों देशों के बीच लगातार टकराव की स्थिति बनी हुई है। खास तौर से फिंगर-एरिया और पैंगोंग-त्सो लेक से सटे दक्षिण इलाकों गुरंग हिल, मगर हिल, मुखपरी और रेचिन ला दर्रे पर स्थिति बेहद नाजुक बनी हुई है।
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इसके साथ ही पूर्वी लद्दाख से सटी पूरी 826 किलोमीटर लंबी एलएसी पर चीनी सेना ने करीब 50 हजार सैनिक, टैंक, तोप, आईसीवी व्हीकल्स, एस-400 मिसाइल सिस्टम और दूसरी हैवी मशीनरी जमा कर रखी है। भारतीय सेना ने भी एलएसी पर मिरर-डिप्लोयोमेंट कर रखी है। ऐसे में भारत क्या चीन के दावों पर विश्वास कर सकता है, इस पर ही रक्षा मंत्री ने समीक्षा-बैठक ली थी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री विदेश मंत्री वांग यी के बीच एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए डिसइंगेजमेंट और डि-एस्कलेशन पर सहमति बनी है।
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इस फॉर्मूलें में ये भी कहा गया है कि दोनों देश सैन्य और राजनियक स्तर पर भी बातचीत करते रहेंगे। इसी कड़ी में माना जा रहा है कि अगले हफ्ते दोनों देशों की सेनाओं के कोर-कमांडर स्तर की बैठक हो सकती है। इससे पहले पिछले चार महीनों में दोनों देश के कोर कमांडर पांच बैठकें कर चुके हैं, लेकिन पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।