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भारत खुद को मजबूत बनाने के लिए तैयार कर रहा है आधुनिक लेजर वेपन

लेजर वेपन

लेजर वेपन

नई दिल्ली। इन दिनों भारत के चीन से संबंध लगातार बिगड़ रहे हैं। बीच-बीच में नेपाल और पाकिस्तान से तनाव की खबरें भी आ रही हैं। ऐसे हालातों में भारत खुद को आधुनिक हथियारों से लैस कर रहा है। राफेल लड़ाकू विमान का आना ऐसा ही एक कदम है।

जब से चीन पर कोरोना वायरस के मामले में लापरवाही का आरोप लगा, कई देश उससे व्यापारिक संबंध सीमित करने लगे हैं। खुद भारत ने भी कई चीनी एप्स को बैन कर दिया। साथ ही कूटनीतिक संबंध में भी खटास दिख रही है। ऐसे में बौखलाया हुआ चीन तेजी से आक्रामक हुआ। वो लद्दाख सीमा पर अपने सैनिकों समेत हथियारों का जखीरा तैनात कर चुका है।

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माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भी चीन से तनाव घटने के कोई आसार नहीं हैं। यही देखते हुए देश खुद को हर चुनौती के लिए तैयार कर रहा है। हाल में राफेल फाइटर जेट मंगवाए गए। साथ ही साथ सैन्य स्तर पर कई दूसरी तैयारियां चल रही हैं।

हाल ही में अमेरिकन नेवी ने एक हाई-एनर्जी लेजर वेपन का सफल परीक्षण किया। उसका दावा है कि ये बीच हवा में ही एयरक्राफ्ट को गिरा सकता है। अमेरिकन नेवी ने अपने परीक्षण के सबूत के तौर पर लेजर वेपन की कई तस्वीरें भी दीं।

डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने साल 2018 में कई ऐसे हथियारों का सफल परीक्षण किया था। कर्नाटक के चित्रदुर्ग में ये टेस्ट किया गया। इसके बाद बयान जारी करते हुए डीआरडीओ ने कहा कि 1 किलोवाट की ये लेजर किरणें 250 मीटर की दूरी तक वार करती हैं और किसी भी धातु में 30 सेकंड के भीतर छेद कर सकती हैं। परीक्षण तत्कालीन डिफेंस मिनिस्टर अरुण जेटली की मौजूदगी में किया गया था।

यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अब भारत और भी आधुनिक लेजर वेपन बनाने की तैयारी में है। खासकर ये डायरेक्टेड एनर्जी वेपन बनाने की तैयारी में है, जो और मॉर्डन और ज्यादा दूरी तक प्रहार करने वाला हो। यह 2 किलोवाट की लेजर होगी, जो लगभग 1 किलोमीटर तक प्रहार कर दुश्मन के टैंक को भेद सके।

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अमेरिका से तुलना करें तो फिलहाल हम काफी पीछे हैं। वहां पर साल 1960 से लेजर हथियारों पर काम चल रहा है और यूएस के रक्षा स्त्रोतों का मानना है कि साल 2022 तक वे 300 किलोवाट के हथियार बना सकेंगे, जबकि 2024 तक ये 500 किलोवाट तक आगे बढ़ जाएगा। यानी भारत अभी इस दौड़ में काफी पीछे है। यही वजह है कि एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत को मौजदूा हालातों में इसके लिए इजरायल या अमेरिका जैसे उन्नत देश से सहायता लेनी चाहिए।

ये हथियार काफी सघन इलेक्ट्रो मैग्नेटिक ऊर्जी वाली बीम बनाते हैं। डीईब्ल्यू मुख्यत: दो तरह के होते हैं, उच्च शक्तिशाली लेजर और माइक्रोवेव। थियार को जला देते हैं और मिसाइल, जहाज, यूएवी और युद्ध क्षेत्र में तैनात उपकरणों की सर्किट को चुटकियों में भून सकते हैं। डीईडब्ल्यू इंसानों को भी नुकसान पहुंचाते हैं क्योंकि ये शरीर के किसी हिस्से में असहनीय गर्मी पैदा कर सकते हैं और इनसे व्यक्ति अंधा भी हो सकता है। माना जा रहा है कि आगे चलकर ये लेजर वेपन काफी मददगार हो सकते हैं। ये केवल लड़ाई में काम नहीं आएंगे, बल्कि आम दिनों में दुश्मन देश की जासूसी रोकने के लिए भी ये काम आ सकते हैं। जैसे ड्रोन्स के जरिए हो रही जासूसी का पता लगने पर ये तुरंत उसे खत्म कर सकते हैं।

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