नई दिल्ली। नगरोटा मुठभेड़ को लेकर भारत ने सख्त रवैया अपनाया है। इसे लेकर विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी को तलब कर कड़ी आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय ने इस पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि भारत ने पाकिस्तान को उसके सरजमीं पर चल रहे आतंकी गतिविधियों को बंद करने को लेकर कड़ी चेतावनी दी है। बता दें कि जम्मू कश्मीर के नगरोटा में गुरुवार को मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों ने बड़ी मात्रा में हथियारों और गोला-बारूद के साथ घाटी में घुसने की कोशिश कर रहे जैश ए मुहम्मद के चार आतंकियों को मार गिराया था। बाद में इसके पीछे 26/11 जैसे आतंकी हमले की साजिश का पर्दाफाश हुआ।
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साजिश उजागर होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की।। बैठक के बाद ट्वीट कर प्रधानमंत्री ने सुरक्षा बलों की सतर्कता की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित करने के खतरनाक मंसूबे फिर नाकाम कर दिए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट में कहा कि जैश ए मुहम्मद से जुड़े चारों आतंकियों के मारे जाने और उनके पास बड़ी मात्रा में हथियारों और गोला-बारूद की मौजूदगी उनके खतरनाक मंसूबों का साफ संकेत देती है, लेकिन सुरक्षा बलों की सतर्कता ने उनके मंसूबों को ध्वस्त कर दिया।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, बैठक में प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित करने के पाकिस्तान के मंसूबों को किसी भी हालत में सफल नहीं होने देना चाहिए और इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों को हरसंभव कदम उठाने चाहिए। उन्होंने इस सिलसिले में सभी सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत पर भी बल दिया। शायद यही वजह है कि बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रॉ प्रमुख सामंत गोयल, आइबी प्रमुख अरविंद कुमार, विदेश सचिव और गृह सचिव के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
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मालूम हो कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार जिला विकास परिषदों (डीडीसी) के चुनाव होने जा रहे हैं और इसे जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करने की दिशा में काफी अहम माना जा रहा है। जाहिर है पाकिस्तान किसी भी स्थिति में घाटी में लोकतांत्रिक जड़ों को मजबूत नहीं होने देना चाहता। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार गुरुवार को जम्मू में मारे गए जैश ए मुहम्मद के चारों आतंकी डीडीसी चुनावों को बाधित करने के उद्देश्य से ही घाटी में जा रहे थे और मुंबई हमले की बरसी पर उनकी घाटी में बड़े हमले की साजिश थी।