हरमनप्रीत सिंह की अगुवाई वाली भारतीय टीम (India) ने रविवार को फाइनल मुकाबल में पांच बार की विजेता दक्षिण कोरिया को 4-1 से हराकर हीरो एशिया कप का खिताब अपने नाम करते हुए अगले साल बेल्जियम और नीदरलैंड की संयुक्त मेजबानी में होने वाले विश्वकप के लिए भी क्वालिफाई कर लिया। आज यहां खेले गये हीरो एशिया कप के फाइनल मुकाबले में भारत के लिए दिलप्रीत सिंह ने (28वें, 45वें) मिनट, सुखजीत सिंह ने (पहले) मिनट और अमित रोहिदास ने (50वें) मिनट में गोल किए।
इस ऐतिहासिक जीत के बाद, हॉकी इंडिया ने खिलाड़ियों को 3-3 लाख रुपये और सहयोगी स्टाफ को 1.5 लाख रुपये देने की घोषणा की।
भारत की शुरुआत शानदार रही और खेल शुरू होने के 30 सेकंड के अंदर ही सुखजीत सिंह ने मेजबान टीम के लिए गोल दाग दिया। कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने एक बेहतरीन सहयोग दिया जिसे फॉरवर्ड ने शानदार तरीके से उठाया और कोरियाई गोलकीपर जेहान किम के ऊपर से शक्तिशाली शॉट लगाया। पहले स्कोर में स्कोर 1-0 रहा।
दूसरे क्वार्टर में कोरिया ने भारत की गति धीमी कर दी। जुगराज को भी ग्रीन कार्ड दिया गया, लेकिन युवा मिडफील्डर राजिंदर सिंह ने 19वें मिनट में भारत को पहला पेनल्टी कॉर्नर (पीसी) दिलाने में मदद की। लेकिन कोरिया के अच्छे रिव्यू के कारण भारत यह मौका गंवा बैठा।इसके बाद 28वें मिनट में दिलप्रीत सिंह ने गोल करके गतिरोध तोड़ा। हरमनप्रीत सिंह की यह लंबी गेंद संजय के पास थी, जिन्होंने उसे दिलप्रीत की ओर उछाला। उन्होंने खुद को सही स्थिति में लाने के लिए थोड़ा समय लिया और गोलकीपर के पैरों के बीच गैप बनाकर भारत की बढृत 2-0 कर दी।
हाफ-टाइम के बाद टीम बदलते हुए, भारत ने तीसरे क्वार्टर में केवल 10 खिलाड़ियों के साथ शुरुआत की, क्योंकि संजय को दूसरे हूटर से कुछ सेकंड पहले ही ग्रीन कार्ड मिल गया था। तीसरे क्वार्टर के शुरू होने के केवल तीन मिनट बाद ही, कोरियाई खिलाड़ी के सर्कल में पैर रखने के बाद भारत ने एक पेनल्टी कॉर्नर हासिल कर लिया। लेकिन भारत को पेनल्टी कॉर्नर देने का निर्णय मैदानी अंपायर ने पलट दिया क्योंकि मंदीप की पिंडली पहले कोरियाई खिलाड़ी के पैर में लगी और फिर गेंद उनके पैर में लग गई। अगले कुछ मिनटों में कुछ मौके बने क्योंकि भारत की फ़ॉरवर्डलाइन ने कोरियाई सर्कल में घुसने की प्रयास किया। सफलता 45वें मिनट में ही मिली और फिर से दिलप्रीत ने शानदार गोल दागा। हरमनप्रीत सिंह ने एक बार फिर गोलकीपर की भूमिका निभाई और गोल के केंद्र में एक चतुर पास दिया। राज कुमार पाल ने शॉट लगाया, लेकिन अंततः दिलप्रीत ने ही उसे गोल में बदला।
दिलप्रीत फ़ाइनल में भारतीय आक्रमण के केंद्र में रहे क्योंकि उन्होंने एक पेनल्टी कॉर्नर बनाया जिसे अमित रोहिदास ने शानदार ढंग से गोल में बदला। दक्षिण कोरिया की ओर से 50वें मिनट में डैन सन ने गोल कर स्कोर 4-1 कर दिया। भारतीय टीम ने आखिरी मिनटों में बढ़त बनाए रखी और आठ साल का लंबा इंतजार खत्म करने हुए एशिया कप का खिताब अपने नाम कर लिया।