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भारत बनेगा सेमीकंडक्टर निर्माण का प्रमुख वैश्विक केन्द्र: वैष्णव

Ashwini Vaishnav

Ashwini Vaishnav

नयी दिल्ली। संचार, सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने मोदी सरकार द्वारा देश में सेमीकंडक्टर निर्माण की दिशा में दी जा रही गति का उल्लेख करते हुये आज कहा कि भारत सेमीकंडक्टर निर्माण का प्रमुख वैश्विक केन्द्र बनने ही राह पर आगे बढ़ रहा है।

श्री वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने यहां पत्रकारों से कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के साथ ही देश में सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए ईकोसिस्टम बनाने का शुरू कर दिया था क्योंकि सेमीकंडक्टर बनाने में 16 हजार तरह के रसायन और विभिन्न उत्पाद लगते हैं। इसके लिए पूरा तंत्र बनाना होता है और यह वैश्विक उत्पाद है क्योंकि कोई भी देश इसको अपने बूते पर पूरी तरह से नहीं बना सकता है। इसमें रसायन के साथ ही गैस का उपयोग किया जाता है।

उन्होंने कहा कि देश के 104 विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी कर छात्रों को सेमीकंडक्टर के बारे में बताया जा रहा है और उनको इसके लिए तैयार किया जा रहा है। स्टार्टअप का सहयोग भी लिया जा रहा है और उन्हें भी इसके निर्माण में आगे लाया जा रहा है। अभी भारत में दुनिया का एक तिहाई अर्थात तीन लाख डिजाइन इंजीनियर हैं जो पूरी दुनिया भर की कंपनियों के लिए सेमीकंडक्टर डिजाइन का काम कर रहे हैं।

श्री वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने कहा कि देश को सेमीकंडक्टर निर्माण का प्रमुख वैश्विक केन्द्र बनाने के लिए 20 वर्षाें का रोडमैप तैयार किया गया है क्योंकि इसके निर्माण 16 हजार से अधिक चीजें लगती है जो किसी एक देश में उपलब्ध होना असंभव है। लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने दूरदर्शी नेतृत्व से भारत को इस क्षेत्र में प्रमुख वैश्विक केन्द्र बनाने की रूपरेखा तय की है और उसी के अनुरूप काम जारी है।
उन्होंने कहा कि कल मंत्रिमंडल ने 125600 करोड़ रुपये के निवेश और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 80 हजार रोजगार के अवसर सृजित करने वाली तीन और सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी प्रदान की है। इस तरह देश में अब तक चार इकाइयाें को मंजूरी दी गयी है जिनमें वार्षिक तीन हजार करोड़ चिप निर्माण होगा। देश में करीब दो लाख करोड़ डॉलर अर्थात 24 लाख करोड़ रुपये के चिप निर्माण की उम्मीद है।

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उन्होंन कहा कि कल मंजूर की गयी इकाइयों का निर्माण 100 दिनों में शुरू हो जायेगा। पहले स्वीकृत माइक्रोन कंपनी की इकाई का भी 100 दिनों में निर्माण शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षाें में देश में बहुत सी कंपनियां इस क्षेत्र में आने के लिए प्रयासरत है क्योंकि 10 साल पहले कहा जाता था कि भारत क्यों जाये, आज कहा जा रहा है कि भारत कब जाना है और आने वाले वर्षाें में कहा जायेगा कि भारत क्यों नहीं गये।

उल्लेखनीय है कि कल मंत्रिमंडल ने ‘भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास’ के तहत तीन सेमीकंडक्टर इकाइयों की स्थापना को मंजूरी दी थी। अगले 100 दिनों के भीतर तीनों इकाइयों में निर्माण शुरू हो जायेगा। भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिये कार्यक्रम दिसंबर 2021 में कुल 76 हजार करोड़ रुपये के व्यय के साथ अधिसूचित किया गया था। जून, 2023 में मंत्रिमंडल ने गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने के लिये माइक्रोन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इस इकाई का निर्माण तीव्र गति से चल रहा है और इकाई के पास एक मजबूत अर्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र बन उभर रहा है।

उन्नत पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों को भारत में स्वदेशी रूप से विकसित किया जायेगा। ये इकाइयां 20 हजार उन्नत प्रौद्योगिकी नौकरियों का प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 60 हजार अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करेंगी। ये इकाइयां डाउनस्ट्रीम ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, दूरसंचार विनिर्माण, औद्योगिक विनिर्माण और अन्य सेमीकंडक्टर उपभोक्ता उद्योगों में रोजगार
सृजन में तेजी लाएंगी।

टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (टीईपीएल) ताइवान के पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प (पीएसएमसी) के साथ साझेदारी में एक सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करेगी। इस फैब का निर्माण गुजरात के धोलेरा में किया जायेगा। इस फैब में 91,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। पीएसएमसी मेमोरी फाउंड्री सेगमेंट में अपनी विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध है। पीएसएमसी की ताइवान में छह सेमीकंडक्टर फाउंड्री हैं। इसकी क्षमता प्रति माह 50,000 वेफर स्टार्ट (डब्ल्यूएसपीएम) होगी। इसमें 28 एनएम तकनीक के साथ उच्च प्रदर्शन कंप्यूट चिप बनेगा जो इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), दूरसंचार, रक्षा, ऑटोमोटिव, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के लिये पावर प्रबंधन चिप्स के तौर पर उपयोग किया जा सकेगा।

टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (टीएसएटी) असम के मोरीगांव में 27 हजार करोड़ रुपये के निवेश से एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करेगी। टीएसएटी सेमीकंडक्टर फ्लिप चिप और आईएसआईपी (पैकेज में एकीकृत प्रणाली) प्रौद्योगिकियों सहित स्वदेशी उन्नत सेमीकंडक्टर पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों का विकास कर रहा है। इसकी क्षमता 4.8 करोड़ दैनिक होगी। यह चिप ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, मोबाइल फोन आदि में उपयोग होंगे।

सीजी पावर, रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन, जापान और स्टार्स माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स, थाईलैंड के साथ साझेदारी में गुजरात के साणंद में 7600 करोड़ रुपये के निवेश से एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करेगा। रेनेसा एक अग्रणी सेमीकंडक्टर कंपनी है, जो विशेष चिप पर केंद्रित है। यह 12 सेमीकंडक्टर सुविधायें संचालित करता है और एनालाॅग, माइक्रोकंट्रोलर, पावर और सिस्टम ऑन चिप (एसओसी) उत्पादों में एक महत्वपूर्ण कंपनी है। सीजी पावर सेमीकंडक्टर यूनिट उपभोक्ता, औद्योगिक, ऑटोमोटिव और बिजली अनुप्रयोगों के लिये चिप का निर्माण करेगी, जिसकी क्षमता 1.5 करोड़ दैनिक होगी।

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