नई दिल्ली। चीन लगातार लद्दाख में दुस्साहस करने की कोशिश से बाज नहीं आ रहा है, तो वहीं भारतीय जवान भी उसे उसकी भाषा में ही जवाब देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सीमा पर चल रही चीन की साजिशों, लद्दाख के ताजा हालात और भविष्य की रणनीति को लेकर दिल्ली में एक हाई लेवल मीटिंग हुई। इस मीटिंग में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत कई बड़े अधिकारी मौजूद रहे।
LAC पर एक्टिव हुई एयरफोर्स
सूत्रों ने कहा कि वायु सेना को पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास चीन की बढ़ती हवाई गतिविधियों की निगरानी बढ़ाने के लिए भी कहा गया है। ऐसी खबरें हैं कि चीन ने होतन एयरबेस में लंबी दूरी की क्षमता वाले जे-20 युद्धक विमान और अन्य साजो सामान तैनात किए हैं। यह बेस पूर्वी लद्दाख से करीब 310 किलोमीटर दूर है। भारतीय वायुसेना ने पिछले तीन महीनों में अपने सभी महत्वपूर्ण युद्धक विमानों जैसे सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 विमान पूर्वी लद्दाख में प्रमुख सीमावर्ती हवाई ठिकानों और एलएसी के पास तैनात किए हैं।
चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर पिनाक मिसाइल तैनाती का फैसला
लद्दान में चीन कश्मीर में पाकिस्तानी घुसपैठ के प्रयासों को देखते हुए भारत ने बड़ा फैसला लिया है। भारत ने चीन और पाकिस्तान के बॉर्डर पर पिनाक मिसाइल को तैनात करने का निर्णय लिया है। रक्षा मंत्रालय ने छह मिलिटरी रेजिमेंट के लिए 2580 करोड़ रुपये की लागत से पिनाक रॉकेट लॉन्चर के निर्माण को लेकर दो अग्रणी घरेलू रक्षा कंपनियों के साथ समझौता किया है। इसी के साथ भारत ने ये साफ संकेत दे दिए हैं कि पाकिस्तान हो या चीन, सीमा पर किसी का भी दुस्साहस बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पोखरण में हो चुका है सफल परीक्षण
पिनाक की एक बैटरी एक स्कॉयर किलोमीटर इलाके को पूरी तरह से ध्वस्त कर सकती है। लॉन्ग रेंज आर्टिलरी बैटल की अहम रणनीति के तौर पर लॉन्चर को ‘शूट एंड स्कूट’ करना पड़ता है ताकि यह सुनिश्चित हो जाए कि वे ख़ुद टारगेट न बनें। पिनाका के मार्क- I वर्जन में करीब 40 किलोमीटर की रेंज तक मार करने की क्षमता थी, वहीं मार्क-II वर्जन 75 किलोमीटर तक फायर कर सकता है। DRDO की ओर से 2010 के बाद मार्क- II वर्जन के कई सफल परीक्षण किए गए। इसी महीने पोखरण में भी इसका हालिया परीक्षण किया गया।
नए वर्जन में बेहतर नेविगशन सिस्टम
रॉकेट के मार्क- II वर्जन में बेहतर नेविगेशन, कन्ट्रोल और गाइडेंस सिस्टम के साथ अपग्रेड किया गया है। इससे इसकी रेंज और सटीकता बढ़ गई है। मिसाइल का नेविगेशन सिस्टम इंडियन रीजनल सैटलाइट सिस्टम से लिंक है। पिनाक मार्क-II अपग्रेड होने के बाद ‘नेटवर्क केंद्रित युद्ध’ में काफी अहम भूमिका निभा सकता है। रॉकेट सिस्टम अलग-अलग मोड को ऑपरेट कर सकता है और विभिन्न प्रकार के वॉरहेड कैरी कर सकता है।
भगवान शिव के धनुष के नाम पर स्वदेशी रूप से विकसित इस मिसाइल सिस्टम के लिए टाटा पावर कंपनी लिमिटेड (टीपीसीएल) और लार्सन ऐंड टूब्रो (एल एंड टी) के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया गया है। पिनाक को बनाने का काम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा 1980 के दशक के अंत में शुरू किया गया था। इसे रूस के मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चिंग सिस्टम ‘ग्रैड’ के एक विकल्प के रूप में देखा जाता है।
जिस समय भारत दोनों मोर्चों पर दुश्मनों का सामना कर रहा है, उस समय लॉन्ग रेंज आर्टिलरी क्षमताओं को बढ़ाने वाली घोषणा को एक मजबूत जवाब के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। आपको बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को कहा था कि 6 पिनाक रेजिमेंट में ‘ऑटोमेटेड गन एमिंग एंड पोजिशनिंग सिस्टम’(एजीएपीएस) के साथ 114 लॉन्चर और 45 कमान पोस्ट भी होंगे। बयान में कहा गया था कि मिसाइल रेजिमेंट का संचालन 2024 तक शुरू करने की योजना है ।
पिनाक में 70 फीसदी स्वदेशी मैटेरियल
रक्षा मंत्रालय के बयान के मुताबिक वेपन सिस्टम में 70 प्रतिशत स्वदेशी मैटेरियल होगा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। पिनाका मल्टीपल लांच रॉकेट सिस्टम (एमएलआरएस) को डीआरडीओ ने डिवेलप किया है। मंत्रालय ने बताया, ‘यह एक महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट है जो ‘आत्मनिर्भर’ बनने के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में पब्लिक-प्राइवेट सेक्टर की पार्टनरशिप को प्रदर्शित करती है।’