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कोरोना काल में भारतीय जीवन परंपरा को मिली वैश्विक मान्यता : योगी आदित्यनाथ

CM Yogi

CM Yogi

गोरखपुर। विश्व प्रसिद्ध धार्मिक पत्रिका कल्याण के आदि संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार की 130वीं जयंती पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने कहा कि सदी की महामारी कोरोना संकट काल में भारतीय जीवन परंपरा, जिसमें आयुर्वेद और योग महत्वपूर्ण रूप से शामिल हैं, को वैश्विक मान्यता मिली। जहां व्यक्ति नहीं मान रहा, वहां प्रकृति से मनवा रही है। इस संदर्भ में एक संस्मरण भी उन्होंने सुनाया।

उन्होंने कहा कि एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पोते, जो अमेरिका के न्यू जर्सी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, उनसे मिलने आए थे। उस सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने बताया कि कोरोना के दौर में अमेरिका में एक भारतीय रेस्तरां के सामने लाइन लगाकर वहां के लोग एक छोटे गिलास में दो से तीन चम्मच हल्दी का पानी खरीद कर पी रहे थे। इसके लिए 5 डालर की कीमत भी चुका रहे थे। मुख्यमंत्री ने उनकी जिज्ञासा शांत करते हुए बताया कि हर भारतीय घर में हल्दी भोजन का अनिवार्य हिस्सा है और हल्दी के प्रयोग की परंपरा अपने यहां हजारों वर्षों से चली आ रही है। हल्दी की कीमत आयुर्वेद के जरिए अमेरिका ने कोरोनाकाल में समझा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की स्वास्थ्य सेवाओं पर जो लोग टिप्पणी करते हैं उन्हें कोरोना के समय आप ही जवाब मिल गया। उन्होंने कहा कि एक भी मौत दुखद है फिर भी यदि तुलना करें तो अमेरिका में भारत से डेढ़ गुना अधिक मौतें कोरोना से हुई। जबकि भारत की आबादी 135 करोड़ के सापेक्ष अमेरिका की आबादी 33 करोड़ ही है। वहां स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रचुरता के बावजूद बेहतरीन कोरोना प्रबंधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का रहा। इसमें भारतीय पारिवारिक जीवन का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। 21 जून को दुनिया के 150 से अधिक देश विश्व योग दिवस के माध्यम से भारत से जुड़ते हैं। चीन जैसा देश जो ईश्वर को नहीं मानता लेकिन योग को मानता है। भारत के आयुर्वेद, योग व नेचुरोपैथी दुनिया को कितना कुछ दे सकते हैं, कोरोना संकट में सबने इसे देखा, महसूस किया और अपनाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपनी ज्ञान परंपरा व संस्कृति पर गौरव की अनुभूति करनी चाहिए।

धरोहर रूप में मिला है वैदिक ज्ञान

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले हमारे हर घर में नानी, दादी, बाबा, नाना के रूप में घरेलू वैद्य होते थे। हमने उनकी दी हुई ज्ञान परंपरा को विस्मृत कर दिया, लिपिबद्ध नहीं किया। पर हमारे ऋषियों-मुनियों में वैदिक ज्ञान को लिपिबद्ध कर संरक्षित किया। महाभारत के युद्ध के बाद जब पराभव काल आया तो नैमिषारण्य में 88 हजार ऋषियों ने गोष्ठी की। मंथन के बाद ज्ञान को तीन साल तक अनवरत कार्य करके धरोहर के रूप में लिपिबद्ध किया। मध्यकाल में आक्रांताओं हमारी इस धरोहर को नष्ट करने का प्रयास किया था। इस धरोहर को संरक्षित करने की जिम्मेदारी हम सबकी उसी प्रकार की है जैसे भाई जी ने किया था। भाई जी ने भारतीय मूल्य, संस्कृति, ज्ञान परंपरा को संरक्षित करने में अपना जीवन होम किया था।

सिर्फ सत्ता का हस्तांतरण या राजनैतिक आजादी ही सम्पूर्ण आजादी नहीं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सिर्फ सत्ता का हस्तांतरण या राजनीतिक आजादी ही संपूर्ण आजादी नहीं हो सकती थी। इस बात को भाई जी बखूबी समझते थे। आजादी के बाद के भारत का स्वरूप क्या हो, इस चिंतन तथा गुलामी के चिह्नों को दूर करने के अभियान में वह हमेशा अग्रणी रहे। गोरक्षा, श्रीराम जन्म भूमि, श्रीकृष्ण जन्म भूमि, अछूतोद्धार, मानव कल्याण व आपदाग्रस्त मानव को लाभ दिलाने के अभियानों में वह सदैव आगे रहे। स्वतंत्र भारत मैं शिक्षा के लिए भी उनका सराहनीय प्रयास रहा।

समाधि स्थल गए मुख्यमंत्री (CM Yogi) 

भाई जी के प्रति श्रद्धार्चन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनकी समाधि स्थली पर गए और पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी श्रद्धा निवेदित की। इस अवसर पर कथावाचक विश्वनाथ भाई कश्यप, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ बालमुकुंद पांडेय, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर के अधिष्ठाता कला संकाय प्रो हरीश कुमार शर्मा, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेशक शोध एवं प्रशासन डॉ ओमजी उपाध्याय, हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति के सचिव उमेश सिंहानिया, संयुक्त सचिव रसेंदु फोगला, न्यासी प्रमोद मातनहेलिया, विष्णु प्रसाद अजितरिया आदि भी उपस्थित रहे। भाई जी की जयंती के कार्यक्रम में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र के कुलपति प्रो रजनीश कुमार शुक्ल वर्चुअल माध्यम से जुड़े।

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