नई दिल्ली| इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) को दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता के तहत चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 18,000 करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के समाधान की उम्मीद है। इस कदम से बैंक के मुनाफे में सुधार होगा।
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आईओबी के प्रबंध निदेशक पीपी सेनगुप्ता ने कहा कि हम चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में लंबित 18,000 करोड़ रुपये के एनपीए के मामलों के समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। एनसीएलटी में कुछ बड़े खातों के समाधान से हमारे बही-खाते में सुधार होगा।
इसके अलावा बैंक अगले वित्त वर्ष के दौरान आरबीआई की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) व्यवस्था से बाहर आने की उम्मीद कर रहा है।