• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

भारतीय शास्त्र सृष्टि के रहस्यों को जानने का माध्यम: मुख्यमंत्री

संस्कृत केवल भाषा नहीं, अपितु विश्व नेतृत्व प्रदान करने में सक्षम: रामदेव

Writer D by Writer D
21/03/2025
in राजनीति, उत्तराखंड, राष्ट्रीय
0
CM Dhami

CM Dhami

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

हरिद्वार। हमारे शास्त्र केवल ग्रंथ नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि के रहस्यों को जानने का माध्यम हैं। भारतीय शास्त्रों और ग्रंथों में ऐसे अद्भुत सूत्र निहित हैं, जो आधुनिक ज्ञान-विज्ञान में परिलक्षित होते हैं। उक्त उद्गार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित 62वीं अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव स्पर्धा के समापन समारोह में व्यक्त किए।

मुख्यमंत्री (CM Dhami) ने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का आधार हमारे प्राचीन शास्त्र हैं, जिनमें विज्ञान, योग, चिकित्सा, गणित और दर्शन के गूढ़ रहस्य समाहित हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ऋषि-मुनियों द्वारा किए गए अनुसंधानों को केवल विरासत के रूप में संरक्षित करने के बजाय, उसे आगे बढ़ाना और आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विकसित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जैसे अद्वैत वेदांत का गूढ़ ज्ञान पूरे भारत में फैला, वैसे ही इस शास्त्रोत्सव के माध्यम से संस्कृत और शास्त्रों के गूढ़ रहस्य पूरे देश और वैश्विक स्तर पर फैले। समापन समारोह के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार सनातन और भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष कदम उठा रही है, जिससे कि प्राचीन भारतीय ज्ञान विज्ञान को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया जा सके। इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने भारत के समृद्ध वैदिक ज्ञान को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने और इसे शिक्षा प्रणाली में अधिक प्रभावी रूप से समाहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने (CM Dhami) कहा कि यदि हम अपने प्राचीन ज्ञान को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करें, तो यह समस्त मानवता के लिए कल्याणकारी सिद्ध हो सकता है।

पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं योगऋषि स्वामी रामदेव ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह पूरे विश्व में किसी भी क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान करने की सामर्थ्य रखती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सनातन धर्म और भारतीय प्राचीन शास्त्रों में विश्व के सभी ज्ञान-विधाओं का समावेश है। स्वामी रामदेव ने अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव को संस्कृत और संस्कृति का संगम बताते हुए कहा कि सभी मूल भाषाएं संस्कृत से उत्पन्न हुई हैं, और इस पर हम सभी को गर्व होना चाहिए। उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने तथा भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनः स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने संस्कृत को तीर्थ और संस्कृति का गौरव बताते हुए जीवन में प्राचीन भारतीय शास्त्रों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्कृत और भारतीय ज्ञान परंपरा को जीवन की उन्नति का मार्गदर्शक बताया। आचार्य जी ने देशभर से आए विद्वानों, विद्यार्थियों, शोधार्थियों और सनातन परंपरा के अनुयायियों को दिशा-निर्देश दिए कि वेद और शास्त्रों के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सतत प्रयास करते रहें।

शास्त्रोत्सव के समापन समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय शिक्षा मंत्री, उत्तराखण्ड, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि संस्कृत कोई थकी-हारी भाषा नहीं है, बल्कि इसमें पूरे विश्व में अपना परचम लहराने की क्षमता है।
इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने भी संस्कृत, शास्त्र और भारतीय ज्ञान परंपरा पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किये।

इस शास्त्रोत्सव स्पर्धा में देश के 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए प्रतिभागियों को पुरस्कार भी प्रदान किए गए। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. मधुकेश्वर भट्ट तथा मंच संचालन डॉ. पवन व्यास ने किया।

समापन समारोह में महामंडलेश्वर स्वामी पुण्यानंदगिरि महाराज, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, वेरावल, गुजरात में श्रीसोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुकांत कुमार सेनापति, कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत विश्वविद्यालय, असम के कुलपति प्रो. प्रह्लाद आर जोशी, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में कुलपति डॉ. मुरली मनोहर पाठक, पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलानुशासिका प्रो. साध्वी देवप्रिया, प्रतिकुलपति पतंजलि विश्वविद्यालय प्रो. मयंक कुमार अग्रवाल के साथ-साथ पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार और केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के संकाय सदस्य, अधिकारी, देश के कोने-कोने से आये लब्धप्रतिष्ठित विद्वतजन व गणमान्य उपस्थित रहे।

Tags: cm dhami
Previous Post

गोवा सरकार अयोध्या में बनाएगी गोवा राम निवास, जताया योगी का आभार

Next Post

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति को मिल रहा वैश्विक सम्मान : मुख्यमंत्री

Writer D

Writer D

Related Posts

The most attractive aspect of UPITS is the food court.
उत्तर प्रदेश

यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में ‘यूपी का स्वाद’ बेमिसाल, जायकों के संग उमड़ी भीड़

28/09/2025
CM Yogi
उत्तर प्रदेश

आत्मनिर्भर पंचायतों से ही साकार होगी विकसित यूपी की परिकल्पना: मुख्यमंत्री

28/09/2025
FDA
उत्तराखंड

त्योहारों पर मिलावटखोरों के खिलाफ सख़्ती, मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर प्रदेशभर में एफडीए का विशेष अभियान जारी

28/09/2025
UP Singh
उत्तर प्रदेश

पंचतत्व में विलीन हुए प्रो. यूपी सिंह, मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

28/09/2025
68,000 KGBV girls came on stage together
Main Slider

एक साथ मंच पर उतरीं KGBV की 68,000 बालिकाएं, सामाजिक बुराइयों पर करारा प्रहार

28/09/2025
Next Post
cm dhami

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति को मिल रहा वैश्विक सम्मान : मुख्यमंत्री

यह भी पढ़ें

सीएम धामी ने रविंदर जन्मोत्सव कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर किया शुभारंभ

08/05/2022

तालिबान का खौफ, काबुल के गुरुद्वारे में 300 से अधिक हिंदु-सिखों ने ली पनाह

17/08/2021
Shardiya Navratri

रवि योग समेत नवरात्र के तीसरे दिन बन रहे 5 शुभ संयोग, बरसेगी मां चंद्रघंटा की कृपा

17/10/2023
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version