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हरित, श्वेत और नीली क्रांति की बदौलत सब्ज़ियों-फलों में भारत का विश्च में दूसरा स्थान : राजेन्द्र परोडा

इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का 13वां दीक्षांत समारोह विश्विद्यालय के कॉन्वोकेशन लान में आयोजित किया गया। जिसमें छात्र छात्राये एवं शिक्षकों ने पारस्परिक परिधान में भाग लिया। दीक्षांत समारोह की शुरुआत बेहद मधुर इंटीग्रल तराना के साथ हुई विश्विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जावेद मुसर्रत ने विश्विद्यालय के एकेडमिक एवं सामाजिक विशेषताओं के इतिहास का हवाला देते हुए शैक्षणिक सत्र के परिणामों की घोषणा की मुख्य अतिथि पदम भूषण डाक्टर राजेन्द्र सिंह परोडा ने दीक्षांत भाषण दिया।

उन्होंने छात्र छात्राओं द्वारा और मेहनत करने एवं लगन और कठिन परिश्रम करने की सलाह भी दी। साथ ही उन्होंने लखनऊ की गंगा जमुनी तहज़ीब की कई मिसालें देते हुए छात्र छात्राओं को आपसी प्रेम भाईचारे के साथ रहने पर विशेष बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की भी कई मिसालें दी। जैसे मुस्लिम व्यक्ति के ज़रिए रामचरित्र मानस उर्दू में लिखा जाना, तो मुस्लिम शायर के ज़रिए काशी और मथुरा में सजदा करना, जैसे शब्दों को अपनी शायरी में शामिल किया जाना।

श्री परोडा ने विश्विद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि इंटीग्रल यूनिवर्सिटी ने बहुत तेज़ी से तरक़्क़ी किया है और बेस्ट इंस्टीट्यूशन की लिस्ट में शामिल हुई है। इस मौके पर विशिष्ट अथिति भारत में नाइजीरिया गणराज्य के उच्चायुक्त महा माहिम अहमद सुले मौजूद रहे और छात्रों को संबोधित किया। इसके बाद पदम भूषण डाक्टर राजेन्द्र सिंह परोडा ने मीडिया से बात की और भारत मे मौजूदा कृषि संबंधित अवसरों और पेश आने वाली समस्याओं पर अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होने कहा हरित, श्वेत और नीली क्रांति की बदौलत सब्ज़ियों और फलों में भारत का विश्च में दूसरा स्थान। भारत की 17 % जी डी पी में कृषि का महत्त्वपूर्ण योगदान

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उन्होने ने कहा उन्होंने कहा कि किसान को बाज़ार से जोड़ना होगा और उनकी लागत को कम करना होगा। दीक्षांत समारोह का समापन इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के संस्थापक एवं कुलाधिपति प्रोफेसर वसीम अख़्तर ने किया। उन्होंने सफल छात्र-छात्राओं को आशीर्वाद दिया।

शाम को एक आल इंडिया मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें देश के मशहूर शायर और कवियों ने हिस्सा लिया।

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