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भारत की परंपराओं को आज मिल रही है वैश्विक स्वीकार्यता : योगी

Desk by Desk
31/08/2020
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, गोरखपुर
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सीएम योगी

सीएम योगी

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गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि देश के पड़ोसी मुल्क भारतीय संस्कृति की सांझी विरासत हैं और भारत की परम्पराओं को आज वैश्विक स्वीकार्यता मिल रही है।

श्री योगी ने दो दिवसीय दौरे के पहले दिन महाराणा प्रताप पी.जी. कालेज में राजनीति शास्त्र विभाग के तत्वावधान में ‘भारत की पड़ोसी नीति: सामयिक राजनयिक विमर्श’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय आनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर बोलते हुए कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद स्थापना काल से ही नूतन एवं रचनात्मक प्रयोग करता रही है और इसी क्रम में भारत की पड़ोस नीति विषयक संगोष्ठी का आयोजन महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि श्रीलंका के द्वारा ‘इण्डिया फर्स्ट’ की उदघोषणा भारतीय विदेश नीति की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रमाण है। भारत की विदेश नीति ‘रामराज्य की नीति’ रही है। भारत के जितने भी पड़ोसी हैं वे सभी भारतीय संस्कृति की सांझी विरासत हैं। भारत की परम्पराओं को आज वैश्विक स्वीकार्यता मिल रही है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि इण्डोनेशिया की रामलीला मण्डली मानती है कि इस्लाम उनकी उपासना विधि है लेकिन राम तो हमारे पूर्वज हैं और हम सदैव आत्मिक जुड़ाव भगवान राम से रखते है।

उन्होने कहा कि श्रीराम जी ने लंका विजय के बाद भी लक्ष्मण को बताया कि हमारी जननी जन्म भूमि हमारे लिए स्वर्ग से बढ़कर है। प्रभु राम की यह सर्वे भवन्तु सुखिनः की पड़ोस नीति आज भी हमारी रक्त शिराओं में प्रवाहित होती है। श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश सभी स्वीकार करते हैं कि भारत की पड़ोस नीति अत्यन्त उदार और सहिष्णु है। ऐसे में भारत की पड़ोस नीति विश्व के लिए एक अप्रतिम उदाहरण है।

श्री योगी ने कहा “ आज हम सभी को यह चिन्तन करने की आवश्यकता है कि भारत को मजबूत करके और भारत के सहयोग से मजबूत होकर इस दक्षिण एशिया महाद्वीप को समृद्ध किया जा सकता है। कुछ ऐसे पड़ोसी भारत के हैं जो पूरी दुनिया के लिए चुनौती बने हुए हैं उनका सामना करने के लिए भारतीय विदेश नीति से साम्य रखने वाले देशों को एकजुट होकर शांति और विकास के पहिये को आगे बढ़ाना होगा। इस बात की स्वीकारोक्ति अफगानिस्तान के इस वक्तव्य में दिखाई देती हैं कि भारत के विकास में ही हम सभी पड़ोसी देशों का विकास निहित है।

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इससे पूर्व द सण्डे गार्जियन एवं आईटीवी नेटवर्क इण्डिया के सम्पादकीय निदेशक प्रो. माधव दास नलपत ने कहा कि वर्ष 1980 के दशक तक भारत और चीन की जी.डी.पी. समान थी लेकिन आज स्थिति यह है कि चीन की जीडीपी भारत से पांच गुना बड़ी है।

इस अवसर पर प्रो. जी. रामरेड्डी ने कहा किभारत आज अपने मित्र पड़ोसियों से कम शत्रु पड़ोसियों से अधिक घिरा हुआ है। चीन ने विश्व के समक्ष अपना जो चित्र प्रस्तुत किया है उसे वैश्विक स्वीकार्यता नहीं मिल सकती। भारत के प्रति उसका रवैया इस दौर में नकारात्मक रूप से उभर कर सामने आया है।

उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया के दो बड़े राष्ट्र चीन और भारत है लेकिन इनके बीच जो मतभेद उभर कर सामने आ रहे हैं वह इस पूरे महाद्वीपीय क्षेत्र को आस्थिर करके विकास को बेपटरी कर सकते है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में दोनों देश अपनी व्यापारिक भागीदारी को बढ़ाकर विश्व को समृद्ध कर सकते हैं मगर वर्तमान दौर में वे जिस वातारण से गुजर रहे हैं वह चिन्ता का विषय है।

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प्रो. रेडडी ने कहा कि अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन आने के बाद जिस प्रकार चीन के प्रति इस महाशक्ति का अविश्वास बढ़ा है वह वैश्विक शांति एवं विकास के लिए घातक हो सकता है। ‘वेल्ट रोड इनीशिएटिव’ के तहत चीन जिस प्रकार से अपना विस्तार कर रहा है वह दक्षिण एशिया के लिए सुखद नहीं है। गलवान की घटना ने यह सिद्ध कर दिया है कि कैसे चीन अपने समझौते और वायदे से मुकर सकता है। दक्षिण एशिया क्षेत्र में शान्ति व्यवस्था तथा विकास को सुनिश्चित करने के लिए चीन को अपनी नीतियों में संशोधन करते हुए शांतिपूर्ण उदय की नीति को ही अपनाना होगा।

Tags: 24ghante online.comcm yogiIndian CultureIndian Foreign PolicyLatest Uttar Pradesh News in HindiNational newsRam RajyaThe Sunday Guardian and ITV Network Indiaभारतीय विदेश नीतिभारतीय संस्कृतिराम राज्य
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