सियाराम पांडे ‘शांत’
गांवों का विकास मौजूदा समय की बड़ी जरूरत है। गांवों में विकास में बहुत बड़े बाधक वहां होने वाले छोटे- छोटे-विवाद भी हैं। गांवों के झगड़े या तो जमीन-जायदाद को लेकर होते हैं या फिर साखी गवाही को लेकर। घर अमूमन पुश्तैनी होते हैं लेकिन उस पर अधिकार को लेकर अक्सर विवाद होते रहे हैं और ग्रामीणों की जमा-पूंजी कोर्ट-कचहरी और थानों के चक्कर लगाने में खर्च हो जाया करती थी। प्रधानमंत्री ने न केवल इस समस्या को समझा बल्कि इसके स्थयी निदान पर मंथन किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल 11 अक्टूबर को ग्रामीण संपत्तियों का मालिकाना हक देने संबंधी स्वामित्व योजना की शुरूआत की थी जिसे उत्तर प्रदेश में लागू करने के लिए उ.प्र. आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख नियमावली-2020 को लागू किया गया है और ग्रामीणों को घरौनी देने का काम शुरू हो गया है। योजना के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 11 जिलों के 1001 गांवों के 157244 लोगों को आवासीय संपत्तियों का अभिलेख अर्थात घरौनी देकर इस योजना को प्रदेश में विधिवत लागू कर दिया है। घरौनी योजना इतनी जन कल्याणकारी है कि इसका हम अनुमान भी नहीं लगा सकते हैं। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में दीवानी विवाद, मुकदमेबाजी और झगड़ा-फसाद का मुख्य कारण यह है कि ग्रामीण संपत्तियों का भू-अभिलेख बहुत दुरुस्त नहीं है।
ऐसे में प्राय: लोग अपने रहने के लिए घर या पशुओं के रहने के लिए, भूसा चारा रखने के लिए छपरा या अन्य निर्माण करते समय प्राय: भूलवश, जान बूझकर या साजिश के तहत दूसरे की जगह में घुसकर बना लेते हैं और यहीं से विवाद शुरू हो जाता है। जिन लोगों की आवासीय संपत्तियों का नामांतरण नहीं है या जो लोग रोजी-रोजगार के लिए गांव से बाहर जाकर शहर में नौकरी करते हैं उनकी संपत्तियों को हमेशा खतरा बना रहता है। कब दबंग या पड़ोसी जमीन पर कब्जा कर लें, इसकी आशंका बनी रहती है। घरौनी योजना इस तरह की समस्याओं और विवादों को काफी हद तक कम करेगी। इस तरह घरौनी योजना प्रदेश करोड़ों ग्रामीणों के लिए अपनी आवासीय संपत्तियों की सुरक्षा और संरक्षण करने वाली होगी, मुकदमेबाजी और झगड़ा-फसाद कम होगा, आवासीय संपत्तियों का डिजिटल रिकार्ड और मालिकाना हक दर्शाने वाला वैधानिक पेपर होने से इन जमीनों पर आसानी से कर्ज भी लिया जा सकेगा।
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इस तरह घरौनी योजना विवाद खत्म करने वाली, संपत्तियों की सुरक्षा करने वाली और गिरवीं रखकर क्रेडिट पाने में भी सहायक होगी। घरौनी में जिला, तहसील, ब्लॉक, थाना, ग्राम पंचायत दर्ज होगी, इसमें ग्राम कोड भी होगा और आवासीय संपत्तियों की 13 डिजिट की एक यूनिक आईडी भी होगी। संपत्ति का वर्गीकरण, आवासीय भूखंड का क्षेत्रफल, उसकी भुजाओं की संख्या और चौहद्दी भी दर्ज होगी।
इस प्रकार घरौनी में आवासीय संपत्ति की संपूर्ण जानकारी होगी जिसके जरिए मालिकाना हक प्रमाणित करने के साथ ही जमीन की पहचान हो सके। हालांकि यह एक महत्वाकांक्षी योजना है और इस कारण इसमें समय लगेगा, लेकिन यह इतनी महत्वपूर्ण एवं जनकल्याणकारी योजना है कि इसमें जितने भी संसाधन एवं समय लगें, सरकार को इस योजना को पूरा करना चाहिए और सभी ग्रामीणों को उनकी घरौनी का वैध अभिलेख देना चाहिए ताकि आवासीय संपत्तियों की सुरक्षा के साथ ही जरूरत पड़ने पर इसके बदले लोन भी मिल सके।
इससे ग्रामीण क्षेत्रों में विवाद कम होने के साथ विकास में भी मदद मिलेगी क्योंकि लोग जमीनों के विवाद में उलझने के बजाय अपने-अपने काम में लगेंगे और जरूरत पड़ने पर घरौनी के जरिए कर्ज लेकर छोटा-मोटा निवेश भी जुटा सकेंगे। घरौनी महत्वपूर्ण एवं प्रगतिशील योजना है और इससे सभी को लाभ होगा।