श्रीयंत्र (Shri Yantra) को हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और प्रभावी यंत्र माना गया है। यह मां लक्ष्मी का प्रतीक है और इसे धन और समृद्धि का अद्भुत माध्यम कहा गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे स्थापित करने के दौरान कुछ विशेष सावधानियां बरतनी होती हैं? आइए जानते हैं इसके उपाय और स्थापना की सही विधि।
श्रीयंत्र (Shri Yantra) क्या है?
श्रीयंत्र (Shri Yantra) एक ज्यामितीय आकृति है, जिसमें त्रिभुजों और चक्रों का अद्भुत संयोजन है। इसे मां लक्ष्मी और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। श्रीयंत्र न केवल आर्थिक समृद्धि लाने में सहायक है, बल्कि यह नकारात्मक ऊर्जा को भी समाप्त करता है।
श्रीयंत्र (Shri Yantra) स्थापना का सही समय और स्थान
सही दिन का चयन:
श्रीयंत्र की स्थापना के लिए शुक्रवार को शुभ माना जाता है। यह दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है।
स्थान का महत्व:
इसे घर के पूजाघर में स्थापित करें। इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि पूजाघर साफ और व्यवस्थित हो।
दिशा:
श्रीयंत्र को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर स्थापित करना सबसे उत्तम माना गया है।
स्थापना विधि और मंत्र
शुद्धिकरण करें:
श्रीयंत्र को दूध, गंगाजल और शुद्ध पानी से धोकर साफ करें।
दीप और धूप जलाएं:
स्थापना से पहले घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
मंत्र जप:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध्यै नमः” मंत्र का जप करते हुए इसे स्थापित करें।
फूल और चावल अर्पित करें:
इसे पुष्प और अक्षत (चावल) से सजाएं।
श्रीयंत्र स्थापना में इन गलतियों से बचें
अशुद्ध स्थान पर न रखें:
इसे गंदे या अव्यवस्थित स्थान पर रखने से इसके लाभ नहीं मिलते।
दिशा का ध्यान रखें:
श्रीयंत्र को पश्चिम या दक्षिण दिशा में न रखें।
अनुचित तरीके से न छुएं:
श्रीयंत्र को हमेशा स्वच्छ और शुद्ध हाथों से स्पर्श करें।
श्रीयंत्र (Shri Yantra) के लाभ
आर्थिक समस्याओं का समाधान
घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार
व्यापार में उन्नति और समृद्धि
मानसिक शांति और ध्यान की एकाग्रता
श्रीयंत्र का सही उपयोग आपके जीवन में धन, समृद्धि और शांति ला सकता है। बस इसे स्थापित करते वक्त सावधानी रखें और मंत्रों का जप नियमित रूप से करें। इससे आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।