उत्तर प्रदेश के पशुधन, दुग्ध विकास एवं मत्स्य विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने गोवंश के संरक्षण एवं छुटटा गोवंश की समस्या के पूर्ण निस्तारण के लिए अधिकारियों को समुचित दिशा-निर्देश दिए।
श्री चौधरी ने ये निर्देश आज यहां योजना भवन में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के मण्डलीय अपर निदेशक एवं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों को गोवंश के संरक्षण एवं छुटटा गोवंश की समस्या के पूर्ण निस्तारण के लिए समुचित दिशा-निर्देश दिए।
उन्होंने कहा है कि एक माह के भीतर दो लाख छुट्टा गोवंश का संरक्षण किया जाये और सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर अस्थायी/स्थायी गो-आश्रय स्थल की स्थापना के लिए स्थानीय प्रशासन के सहयोग से तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित की जाय। उन्होंने कहा कि बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील जिलो में पशुधन की सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबन्धन अभी से सुनिश्चित किया जाय। प्रत्येक बाढ़ चौकी पर पशुपालन विभाग की उपस्थिति एवं पशुधन की निगरानी में कोई शिथिलता न बरती जाय।
श्री चौधरी ने कहा कि एक माह के भीतर निर्धारित लक्ष्य प्राप्त न करने पर सम्बन्धित के विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी। उन्होंनें प्रदेश की प्रत्येक पंजीकृत गोशालाओं में निराश्रित गोवंश के संरक्षण के लिए गोशाला प्रबन्धक से बात कर कम से कम 200 गोवंश संरक्षित कराये जाने, मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 20-20 इच्छुक पशुपालकों का चयन कर नजदीकी गो-आश्रय स्थल से गोवंश सुपुर्दगी में दिये जाने के निर्देश दिए।
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पशुधन मंत्री ने कहा कि वृहद गो-संरक्षण केन्द्र में कम से कम 300 गोवंश को संरक्षित किये जाये और जिन जिलो में क्रियाशील वृहद गो-संरक्षण केन्द्र में 300 से कम गोवंश संरक्षित पाये जायेंगे। उनके विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जायेगी। गोवंश की संख्या की पूर्ति सड़कों पर अथवा खेत में घूम रहे निराश्रित गोवंश को पकड़ कर संरक्षित की जाय। नन्दी अर्थात नर गोवंश के लिए पृथक गो-आश्रय की स्थापना एवं उनके संरक्षण के लिए व्यवस्था की जाय।
उन्होंने विभागीय अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी जिले में निराश्रित गोवंश घूमते पाये जाने, गोवंश के संरक्षण एवं सुरक्षा में कमी होने, गो-आश्रय स्थल में संरक्षित गोवंश की चारा/औषधि के अभाव में मृत्यु होने पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एवं सम्बंधित अधिकारी उत्तरदायी माने जायेंगे।