नई दिल्ली| कोरोना संकट ने देश और दुनिया के आर्थिक रणनीतिकारों को योजनाओं में बदलाव के लिए मजबूर करने साथ उपभोक्ताओं को वित्तीय सुरक्षा के लिए बचत और बीमा को लेकर अपना नजरिया बदलने को विवश कर दिया है। उपभोक्ता अब बचत और बीमा को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क हैं।
वहीं बीमा कंपनियों को उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिए डिजिटल पर जोर देने और उत्पादों को उनकी जरूरत के अनुसार पेश करने का अवसर दिया है। निल्सन और एसबीआई लाइफ की ओर से किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 70 साल में बीमा क्षेत्र में जो बदलाव नहीं आ सका था वह महज सात माह के कोरोना काल में आय गया है। इसका फायदा उपभोक्ताओं के साथ कंपनियों को भी हो रहा है।
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जीवन बीमा के तहत टर्म प्लान सबसे सस्ती पॉलिसी है। पांच हजार रुपये में 50 लाख रुपये और आठ हजार रुपये में एक करोड़ रुपये का टर्म प्लान बीमा कंपनियां देती हैं। हालांकि, सस्ता होने के बावजूद इसमें जीवन बीमा के अन्य पॉलिसी की तरह कोई रिटर्न नहीं मिलता है।
कोरोना संकट में नौकरी छूटने या वेतन कटौती को देखते हुए उपभोक्ता अपने और परिवार की वित्तीय सुरक्षा को लेकर पहले से अधिक सतर्क और सजग हो गए हैं। कृष्णमूर्ति का कहना है कि व्यक्तिगत और पारिवारिक सुरक्षा वर्तमान स्थिति में सबसे बड़ी चिंता है, महामारी ने हम में से प्रत्येक के लिए प्रतिरक्षा के महत्व पर फिर से अहम बना दिया है।