प्रयागराज| यूपी बोर्ड की स्थापना के 100वें साल में इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 में व्यापक संशोधन एवं परिवर्धन होगा। इस काम के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडेय ने चार कमेटियों का गठन किया है। शिक्षा विभाग के अफसरों को अध्यायवार एवं विषयवार कायदे-कानून का अध्ययन कर वर्तमान आवश्यकता एवं परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में पूरे एक्ट का अध्ययन/परीक्षण कर संस्तुति के साथ प्रस्ताव शासन को उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए हैं।
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सचिव यूपी बोर्ड दिव्यकांत शुक्ल की अध्यक्षता में गठित कमेटी में अपर सचिव प्रशासन शिवलाल और पांचों क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिव सदस्य बनाए गए हैं। यह कमेटी धारा 1 से 15 एवं 17 से 22 तक का अध्ययन कर संशोधन प्रस्ताव उपलब्ध कराएगी। धारा 16 के अध्ययन एवं संशोधन प्रस्ताव के लिए संयुक्त शिक्षा निदेशक झांसी, बरेली और अयोध्या की अध्यक्षता में तीन अलग-अलग कमेटियां गठित की गई है। इन चारों कमेटियों के प्रस्ताव एवं सुझाव राज्य स्तरीय कमेटी को उपलब्ध कराया जाएगा।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय कमेटी सभी प्रस्तावों एवं सुझावों पर अंतिम निर्णय लेते हुए शासन को अपनी संस्तुति देगी। निदेशक ने 24 अगस्त को भेजे पत्र में 15 दिन के अंदर प्रस्ताव एवं सुझाव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे लेकिन 16 सितंबर तक कमेटियां अपनी रिपोर्ट नहीं दे सकी थी। अपर निदेशक माध्यमिक डॉ. महेन्द्र देव ने 16 सितंबर को चारों कमेटियों से जल्द से जल्द प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
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प्रदेश में शिक्षा का विस्तार करने के लिए इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम-1921 द्वारा यूपी बोर्ड का गठन किया गया था। बोर्ड ने पहली परीक्षा 1923 में कराई गई जिसमें हाईस्कूल के 5655 और इंटर के 89 परीक्षार्थी सम्मिलित हुए थे। वर्तमान में यूपी बोर्ड के 28 हजार से अधिक स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के सवा करोड़ छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।