• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस स्पेशल, दिव्यांग महिलाएं : सामाजिक-शैक्षिक आंकलन

Desk by Desk
07/03/2021
in Main Slider, अंतर्राष्ट्रीय, ख़ास खबर, नई दिल्ली, राजनीति, राष्ट्रीय
0
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

डा. पूजा सिंह

दिव्यांगता (डिसेबिलिटी) की अवधारणा को समझना इसके स्वरूप, प्रकार एवं समाज के साथ संबंधों पर निर्भर करता है। इस लिए मानवशास्त्रियों तथा समाज शास्त्रियों के अनुसार डिसेबिलिटी की कोई भी वैश्विक परिभाषा नहीं हो सकती। यह एक सापेक्षिक अवधारणा है। जो समय व परिस्थिति के अनुकूल परिवर्तनीय है। परन्तु विकलांगता के सार्वभौमिक परिप्रेक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए इसको दो प्रमुख मॉडल द्वारा समझा जाता है।

ये मॉडल हैं – चिकित्सीय एवं सामाजिक,चिकित्सीय मॉडल के अनुसार विकलांगता को शारीरिक व मानसिक व्याधि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। जिसके कारण किसी व्यक्ति की कार्यात्मक क्षमता घट जाती है। जबकि सामाजिक मॉडल विकलांगता को एक सामाजिक समस्या मानता है। जिसका कारण शारीरिक कम परन्तु सामाजिक-आर्थिक तथा राजनैतिक ज्यादा है। ये सभी कारण विकलांग व्यक्ति को समाज में समायोजन स्थापित करने में बाधा पहुंचाते हैं। परिणामस्वरूप विकलांग व्यक्ति मानव जीवन हेतु आवश्यक संसाधनों का उपयोग नहीं कर पाते। जो कि इनकी गरीबी, समाज में निम्न स्थान व पतन आदि दशाओं के लिए उत्तरदायी होते हैं ।

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव : कांग्रेस, द्रमुक ने सीट बंटवारे को दिया अंतिम रूप

मानवशास्त्री व समाजशास्त्री मेहरोत्रा का मानना है विकलांगता की अवधारणा को समझने हेतु इसके सांस्कृतिक पक्ष को जानना बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्यों कि विभिन्न समाजों में एक ही वस्तु को व्यक्ति अलग- अलग अर्थ प्रदान करते हैं।  चूँकि यह लेख दिव्यांग महिलाओं के विकास के विभिन्न पहलुओं से सम्बंधित है अतः भारत में महिलाओं की स्थिति की सर्वप्रथम व्याख्या करना समाचीन प्रतीत होता है। जन सांख्यिकी आंकड़ों के अनुसार भारत की लगभग आधी आबादी पर महिलाओं का वर्चस्व है। परन्तु यह भी निर्विवाद सत्य है, कि अधिकांश महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। जिस कारण वो हाशिये पर रहती हैं । यही तथ्य जब दिव्यांग महिलाओं के बारे में बताया जाए तो यह ज्ञात होता है कि दिव्यांग महिलाएं अपने महिला होने के साथ-साथ दिव्यांग होने के कारण दोहरे शोषण का शिकार हैं ।

भारत में दिव्यांगता (डिसेबिलिटी) की स्थिति व स्वरूप

विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत की 15 प्रतिशत आबादी किसी न किसी प्रकार की डिसेबिलिटी से ग्रस्त है। भारत विश्व में द्वितीय सर्वाधिक आबादी वाला देश है अतः यहाँ विश्व की सर्वाधिक डिसेबल्ड जन सँख्या निवास करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के विपरीत यदि भारत सरकार के आंकड़ों को देखा जाए तो वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार मात्र 1.8 प्रतिशत आबादी ही डिसेबिलिटी से ग्रसित थी। जो वर्ष 2011 के आंकड़ों में कुछ बढ़ कर 2.29 प्रतिशत हो गई। जिसमे आधी संख्या दिव्यांग महिलाओं की भी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार के आंकड़ों में भारी अंतर का कारण इन दोनों संगठनों द्वारा अपनाई गई। डिसेबिलिटी की परिभाषा है। भारत सरकार द्वारा अपनाई गई परिभाषा में लोचमयता का अभाव है। साथ ही यह चिकित्सीय मॉडल पर आधारित है। जब कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चिकित्सीय व सामाजिक दोनों पक्षों को ध्यान में रखा गया है। चूंकि भारत में डिसेबिलिटी से सम्बंधित समाजशास्त्रीय शोध अभी अपनी शैशव अवस्था में है। जिसमें काफी कुछ किया जाना अभी शेष है। उपरोक्त आलेख में यह लेख भारत में दिव्यांग महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालता है ।

भारतीय समाज में धार्मिक दृष्टिकोण से दिव्यांगता (डिसेबिलिटी) पूर्व जन्म के कर्मों का ही प्रतिफल है। अतः दिव्यांग महिलाओं को अपशगुनी, अपवित्र व संतान न दे सकने वाली समझा जाता है। (मेहरोत्रा 2013) एक अन्य कारण, समाज की पुरुष प्रधान सोच भी है। जिसमें आदिकाल से महिलाओं का स्थान हमेशा पुरुषों कि तुलना में निम्न रहा है। और वर्तमान में भी निम्न स्तर पर ही है । इस प्रकार के समाजों में विकलांग पुरुष की स्थिति दिव्यांग महिलाओं की तुलना में हर एक क्षेत्र में उच्च ही रहती है। विकलांग पुरुष तो आसानी से गैर-दिव्यांग महिला से विवाह कर लेते हैं। पर दिव्यांग महिला अविवाहित रहती है। या फिर किसी विवाहित या दिव्यांग पुरुष से ही विवाह करती है ।

शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो हमको विकास की ओर अग्रसर करती है। इस लेख में हम दिव्यांग महिलाओं के शैक्षिक स्तर के बारे में जानेंगे तो हमें पता चलता है कि दिव्यांग महिलाएं क्यों पिछड़ी अवस्था में हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में सम्पूर्ण दिव्यांग जनसंख्या में से 54.52 फीसदी साक्षर हैं तथा 45.48 फीसदी असाक्षर हैं। यदि हम दिव्यांग महिलाओं को देखें तो 36.06 फीसदी महिलाएं साक्षर हैं जबकि 63.94 फीसदी दिव्यांग पुरुष साक्षर हैं। ग्रामीन क्षेत्रों में निवास करने वाले दिव्यांग व्यक्तियों की शिक्षा का स्तर ठीक नहीं है। यहां निवास करने वाले लगभग 78.10 फीसदी लोगों को पढ़ना-लिखना नहीं आता है।

शहरी क्षेत्रों की स्थिति कुछ ठीक है यहां के केवल 21.90 फीसदी दिव्यांग ही असाक्षर हैं। यद्यपि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत दिव्यांग बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा की नीति लागू है। पर जमीनी स्तर पर समावेशन केवल इन विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के पंजीकरण तक ही सीमित है। संसाधनों के अभाव में प्रत्येक बच्चे पर जो फोकस किया जाना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है। इससे सिद्ध होता है कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांग समुदाय विशेषकर महिलाओं की शिक्षा सम्बन्धी जो प्रयास किये जा रहे हैं वे बिलकुल भी पर्याप्त नहीं हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में दिव्यांग बालिकाओं को आगे पढ़ने के लिए प्रेरित ही नहीं किया जाता है। माता-पिता का सोचना है, कि यदि हमारी बच्ची बाहर पढ़ने जाएगी तो कही उसके साथ कोई दुर्घटना न घटित हो जाये। शिक्षा बंद होने से रोजगार के अवसर अपने आप बंद हो जाते। आर्थिक स्वतन्त्रता, निर्णय लेने कि क्षमता, स्वयं को सशक्त बनाने के सारे रास्ते शिक्षा के अभाव में दम तोड़ देते हैं। उत्तर-पश्चिमी भारत में दिव्यांग महिलाओं की स्थिति की व्याख्या करते हुए बागची बताती हैं कि हरियाणा और पंजाब में दिव्यांग महिलाओं को विपरीत परिस्थितियों में जीवन व्यतीत करना पड़ता है।

अधिकांश महिलाएं शिक्षा एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाओं से वंचित हैं, समाज में इनका स्थान अदृश्य व नगण्य है । दिव्यांग महिलाओं को अशुभ व मनहूस माना जाता है तथा सामाजिक कार्यक्रमों में भाग नहीं लेने दिया जाता है । इसके अलावा दिव्यांग महिलाओं को उनके ही घर में भेदभाव का सामना करना पड़ता है. उनके सशक्तिकरण हेतु परिवार भी बहुत अधिक प्रयासरत नहीं दिखते हैं । ठीक यही स्थिति हिमाचल प्रदेश राज्य की भी है । जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं का विपरीत प्रभाव भी विकलांग महिलाओं पर देखने को मिला है ।

सरकार द्वारा आजकल मिशन शक्ति कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसमें महिलाओं को उनके अधिकारों से जागरूक कराने सम्बन्धी अभियान चलाया जा रहा है। आशा है दिव्यांग महिलाओं को भी उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कराया जाएगा। ताकि जब उनको जरुरत पड़े तो वे अपनी लड़ाई खुद लड़ सकें व समय आने पर आधी आबादी के अधिकारों के लिए भी खड़ी हो सकें।

आज दिव्यांग महिलाओं को सामाजिक जीवन में हाशिये पर धकेल दिया गया है। जहाँ से जीवंत समाज में शामिल होने में कई बाधाओं को पार करना पड़ेगा । भारतीय समाज में भी बहुत से परिवार ऐसे हैं जो दिव्यांग महिलाओं की सहायता करते हैं। उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करते हैं और समानता का व्यवहार भी रखते हैं पर उनकी संख्या कम ही है। यदि हम दिव्यांग महिलाओं के अंदर छिपे हुए हुनर को बाहर लाना चाहते हैं। और सही में उन्हें विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें जीवन के हर रंग से रूवरू करना चाहते हैं, उनको मुख्य धारा से जोड़ना चाहते हैं इसके लिए हमें अपने सोचने के तरीके में बदलाव लाना पड़ेगा और दिव्यांगता (डिसेबिलिटी) को समाज की विभिन्नता के एक प्रकार के रूप में स्वीकार करना होगा। तभी हम एक समावेशी विकसित राष्ट्र का निर्माण कर पाएंगे।

Tags: International Women's Day SpecialWomen's Day 2021womens dayअंतर्राष्ट्रीय महिला दिवसचिकित्सीय एवं सामाजिकचिकित्सीय मॉडलडिसेबिलिटीदिव्यांगताभारतीय समाजविकलांगता
Previous Post

देश के इस हाइटेक किडनी डायलिसिस अस्‍पताल, इलाज-खाना सब ​कुछ फ्री मिलेगा

Next Post

लखनऊ : आटा मिल में लगी आग, वायुसेना के फायर फाइटर की मदद से किया कंट्रोल

Desk

Desk

Related Posts

CM Dhami
राजनीति

मुख्यमंत्री ने 11 विभिन्न विकास योजनाओं का किया लोकार्पण एवं शिलान्यास

26/10/2025
CM Yogi attended the inauguration ceremony of Yashoda Medicity.
उत्तर प्रदेश

अब यूपी के लोगों को इलाज के लिए दिल्ली में नहीं भटकना होगाः सीएम योगी

26/10/2025
Green Cess
Main Slider

उत्तराखण्ड में लागू होगा “ग्रीन सेस”- राज्य गठन के 25 वर्ष पूर्ण होने पर सरकार की नई पहल

26/10/2025
President Droupadi Murmu inaugurated Yashoda Medicity
उत्तर प्रदेश

स्वास्थ्य सेवा राष्ट्र निर्माण का अभिन्न अंग : राष्ट्रपति

26/10/2025
CM Dhami
Main Slider

सीएम धामी बोले — “वाइब्रेंट गांवों की आर्थिकी को मिलेगा नया संबल”

26/10/2025
Next Post
आटा मिल में लगी आग

लखनऊ : आटा मिल में लगी आग, वायुसेना के फायर फाइटर की मदद से किया कंट्रोल

यह भी पढ़ें

Fire

ढाबे में लगी भीषण आग, आसमान में छाया काला धुआं

13/03/2024
rape

दो वांछित आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, लंबे समय से थे फरार

19/03/2021
हिमाचल टूरिस्ट प्लेस

भारत में यहां देखने को मिलता है मनोरम वादियों का अद्भुत नजारा

16/07/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version